नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन को तीन महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है लेकिन ना तो किसान और ना ही सरकार कोई भी अपनी बात से टस से मस हो रहा है लेकिन आंदोलन में किसानों की कम होती संख्या पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि किसानों के नेता राकेश टिकैत ने दावा किया है कि हमारा आंदोलन फीका नहीं पड़ा है, हम 13 तारीख को पश्चिम बंगाल में मीटिंग और नंदीग्राम-कोलकाता में पंचायत करेंगे और वहां के किसानों को नए कृषि कानून की खामियों को बताएंगे।
लेकिन टिकैत के इस ऐलान पर भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ही उन पर भड़क गए हैं और उन्होंने उन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि राकेश टिकैत बहुत पैसे वाले इंसान हैं, वो कुछ भी कर सकते हैं, जहां मन हो वहां जा सकते हैं। वो लंदन,अमेरिका, जापान यहां तक कि चांद पर भी जा सकते हैं, मुझे उनसे कोई लेना देना नहीं है। सच तो ये है कि किसानों की समस्याओं का जो समाधान होना था वह राजनीतिक दलदल में फंस गया है। किसान नेता राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं, जो कि पूरी तरह से गलत और किसानों के हित में नहीं हैं।
ज्ञात हो कि भानुप्रताप सिंह ने इससे पहले भी राकेश टिकैत पर इसी तरह से आरोप लगाए थे। मालूम हो कि राकेश टिकैत इन दिनों अलग-अलग राज्यों में पंचायत कर रहे हैं और जनसभा को संबोधित कर रहे हैं। टिकैत लगातार कृषि कानून को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं। वो बार-बार यही कह रहे हैं कि हमें संशोधन नहीं चाहिए, हम बस चाहते हैं कि सरकार नए कृषि कानून को खत्म कर दे। सरकार ने बिना सलाह-मशवरा के कानून बनाया है और अब हमसे पूछ रहे हैं कि कानून में कमी क्या है?
टिकैत ने कहा कि सरकार नए कानून के जरिए अनाज को तिजोरी में बंद करना चाहती है, भूख पर व्यापार करना चाहती हैं तो ऐसा नहीं होगा, हम ऐसा नहीं होने देंगे। टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान एकजुट हैं और इनको सरकार को वापस लेना ही पड़ेगा।सरकार को एमएसपी की गारंटी देनी होगी। जब तक तीनों कानूनों की वापसी नहीं होगी, तब तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी।