न्यूज़ डेस्क। राजदीप सरदेसाई लगातार ट्विटर और अपने कार्यक्रमों में पत्रकारिता के सिद्धांतों की हिमायत करते रहे हैं। लेकिन जब बात खुद पर लागू करने की आती है, तो वो उसे भूल जाते हैं। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी को चिट्ठी लिखकर राजदीप सरदेसाई का उल्लेख करते हुए कुछ पत्रकारों की गैरजिम्मेदार और बचकानी पत्रकारिता पर सवाल उठाया है। साथ ही फर्जी खबर फैलाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए माफ नहीं करने योग्य बताया है।
23 जनवरी, 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में उनके पोट्रेट का अनावरण किया था। जिसके बाद सरदेसाई समेत कई पत्रकारों ने दावा किया कि वह सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर नहीं है। उनके अनुसार ये पोट्रेट प्रसनजीत चटर्जी की है, जिन्होंने बोस पर बनी फिल्म में उनका किरदार अदा किया था। राजदीप ने नेताजी के ऑरिजनल चित्र को अभिनेता प्रसेनजीत का चित्र करार देकर राष्ट्रपति भवन से ऑरिजनल चित्र लगाने की मांग कर डाली थी।
प्रेस सचिव अयज कुमार सिंह ने इंडिया टुडे ग्रुप को लिखे पत्र में कहा है कि खेद की बात यह है कि आपके ग्रुप के पत्रकार तथ्यों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की जहमत नहीं उठाते हैं। जैसे कि इस खबर के लिए वह नेताजी के परिवार के सदस्यों (उदाहरण के लिए सीके बोस से, जिन्होंने ट्विटर पर स्पष्ट किया था कि तस्वीर नेताजी की ही है) या फिर खुद एक्टर से पुष्टि कर सकते थे, जिन्होंने भी ट्विटर पर यही बात लिखी थी। उन्होंने फैक्ट चेक करने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और राजनीतिक लाभ लेने के लिए राष्ट्रपति के खिलाफ बेतुके आरोप लगाने लगे।
पत्र में आगे कहा गया है कि उन्होंने ऐसा करके न सिर्फ अपनी पत्रकारिता के मूल्यों को अपमानित किया है, बल्कि राष्ट्रपति भवन की गरिमा को भी धूमिल किया है। इस तरह की भूल माफ करने के लायक नहीं है, क्योंकि चीजें पहले से ही स्पष्ट है। बिना अपनी गलती की गंभीरता को समझे और बिना माफी मांगे इन पत्रकारों ने अपने ट्वीट डिलीट कर दिए। प्रेस सचिव ने इस आचरण को अक्षम्य बताते हुए कहा कि वो इंडिया टुडे ग्रुप के साथ जुड़ाव की समीक्षा करने के लिए मजबूर हैं।
बाद में यह साफ हो गया कि तस्वीर फेक नहीं है। चित्र असली है। यह भी साफ हुआ कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते जयंती बोस रक्षित के द्वारा दिए गए चित्र के आधार पर पद्मभूषण से सम्मानित चित्रकार परेश मयेती द्वारा कलाकृति बनाई गई है।
The Government insists that the Netaji portrait in the @rashtrapatibhvn is an original portrait and not from a movie. Tweet deleted. An official clarification likely to be made soon. This is the pic from the movie👇 pic.twitter.com/XbJ7jrvWn8
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) January 25, 2021
गौरतलब है कि यह चिट्ठी 27 जनवरी, 2021 को लिखी गई है और 28 जनवरी को खबर आई थी कि इंडिया टुडे प्रबंधन द्वारा 2 हफ्तों के लिए ऑफ एयर किए जाने के बाद राजदीप सरदेसाई ने चैनल छोड़ने का फैसला किया है। रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अप्रमाणित सूचना साझा करने वाले राजदीप ने अपने ऊपर कार्रवाई के बाद संस्थान को इस्तीफा सौंप दिया है। राजदीप पर संस्थान ने कार्रवाई 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई एक मौत को लेकर झूठा दावा करने को लेकर की थी।
गणतंत्र दिवस की सुबह से ही किसानों के प्रदर्शन के बीच, दिल्ली के DDU मार्ग पर एक व्यक्ति की ट्रैक्टर पलटने के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद राजदीप सरदेसाई ने तिरंगे में लिपटी मृतक की लाश की तस्वीर अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर करते हुए लिखा कि इसकी मौत पुलिस की गोली से हुई है। राजदीप ने ट्विटर पर लिखा, “पुलिस फायरिंग में आईटीओ पर 45 साल के नवनीत की मौत हो गई है। किसानों ने मुझे बताया कि उसका ‘बलिदान’ व्यर्थ नहीं जाएगा।” पोल खुलने पर अपना ट्वीट चुपके से डिलीट भी कर दिया।
जब यह ट्वीट वायरल होने लगा तो पुलिस भी हरकत में आई और उसने बताया कि ट्रैक्टर रैली और उपद्रव के दौरान जिस व्यक्ति की मौत हुई, वह पुलिस फायरिंग में नहीं, बल्कि ट्रैक्टर पलटने से मारा गया था। दरअसल, ड्राइवर ने काफी तेज रफ्तार से चल रहे ट्रैक्टर को अचानक से मोड़ दिया, जिसकी वजह से संतुलन बिगड़ गया और ट्रैक्टर पलट गया। इस दौरान किसान की मौत हो गई।