धुबरी(असम)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने असम के रनपगली में एक शिविर का शुक्रवार को दौरा किया जहां खुद को बीजेपी समर्थक बता रहे कई परिवारों ने शरण ली हुई है। इन परिवारों का आरोप है कि विधानसभा चुनावों के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता उनपर अत्याचार कर रहे थे। उत्तर बंगाल में कूच बिहार से बीजेपी सांसद नीतीश प्रमाणिक के साथ धनखड़ ने असम के धुबरी जिले में शिविर का दौरा किया और लोगों से बात की। महिलाएं एवं बच्चों ने यहां शरण ली हुई है।
इस दौरे के दौरान बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि राज्य में लोग पुलिस थाने जाने से डर रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं से पुलिस डरी हुई है। मैंने उन्हें वापस आने के लिए प्रोत्साहित किया है, मैं अपने सीने पर गोली लूंगा। मैं सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ मुख्यमंत्री से बात करूंगा। उन्हें जनादेश मिला है। सीएम को टकराव छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सीतलकुची की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन उन्होंने इसे नरसंहार और कोल्ड-ब्लड मर्डर कहा। शपथ लेने के बाद उन्होंने एसआईटी बनाई और एसपी को सस्पेंड किया। मैं सीएम से पूछना चाहता हूं कि जब पूरा राज्य जल रहा था, तब आप क्यों नहीं देख रहे थे। वहीं, शिविर में रहे लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने दो मई को चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से बंगाल में अपने घर छोड़ दिए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने उनके घरों में तोड़-फोड़ की।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने सड़क मार्ग से कूच बिहार से रनपगली में शिविर तक की यात्रा की और चुनाव बाद की हिंसा से कथित तौर पर प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्हें सीतलकूची में काले झंडे दिखाए गए जहां चार ग्रामीण चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की गोलीबारी में मारे गए थे जबकि जिले के दिनहाटा में उनके दौरे के वक्त “वापस जाओ” के नारे लगाए गए। उनका दौरा होने तक राज्यपाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच जुबानी जंग होती रही।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को उन्हें पत्र लिखकर दावा किया कि चुनाव बाद की हिंसा से प्रभावित कूच बिहार जिले का उनका दौरा नियमों का उल्लंघन करता है जबकि धनखड़ ने यह कहते हुए पलटवार किया कि वह संविधान के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।