नई दिल्ली। कांग्रेस-जद (s) के अयोग्य घोषित किए गए विधायकों की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम लोकसभा अध्यक्ष (तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार) के आदेश को बरकरार रख रहे हैं। हालांकि 17 विधायकों को चुनाव लड़ने की अनुमति भी दे दी है। जिसके मुताबिक अब वह दोबारा सदन में चुनकर आने के लिए स्वतंत्र हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोग्य विधायकों को उनका पक्ष रखने की अनुमति मिलना चाहिए। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष का फैसला सही, लेकिन विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्या का फैसला सही नहीं है।
ज्ञात हो कि इन विधायकों को विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने अयोग्य घोषित कर दिया था। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने इन अयोग्य घोषित विधायकों की याचिकाओं पर 25 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने विधानसभा में एच डी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास प्रस्ताव से पहले ही 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।
विधानसभा में विश्वास मत्र प्राप्त करने मे विफल रहने पर कुमारस्वामी की सरकार ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, भाजपा के बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में नयी सरकार का गठन हुआ। इन विधायकों को अयोग्य घोषित किये जाने की वजह से 17 में से 15 सीटों के लिये पांच दिसंबर को उपचुनाव हो रहे हैं। अयोग्य घोषित किये गये विधायक इन उपचुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करना चाहते हैं। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 18 नवंबर है।
इन विधायकों ने हाल में शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर कर 15 सीटों के लिये होने वाले उपचुनाव की तारीख स्थगित करने का निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया था। इन विधायकों का कहना था कि उनकी याचिकाओं पर न्यायालय का निर्णय आने तक निर्वाचन आयोग को इन सीटों पर चुनाव नहीं कराने चाहिए।
अयोग्य घोषित विधायकों की दलील थी कि सदन की सदस्यता से त्यागपत्र देना उनका अधिकार है और अध्यक्ष का निर्णय दुर्भावनापूर्ण है और इससे प्रतिशोध झलकता है। इन विधायकों में से अनेक ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा देते हुये अध्यक्ष को पत्र लिखे थे।