बेंगलुरु। कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने 15 विधानसभा सीटों परहुए उपचुनाव में सोमवार को 12 सीटों पर जीत दर्ज कर राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। भाजपा के लिए राज्य के परिणाम मनोबल बढ़ाने वाले हैं क्योंकि हाल में महाराष्ट्र में उसे झटका लगा था।
विपक्षी कांग्रेस ने दो और निर्दलीय ने एक सीट पर जीत हासिल की। प्रदेश में भगवा पार्टी की जीत का फौरी असर कांग्रेस पर भी पड़ा क्योंकि कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडू राव ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा चुनाव में इन 15 सीटों में से 12 सीटें कांग्रेस के पास थीं। इन सीटों पर पांच दिसंबर को उपचुनाव हुआ था।
दोनों नेताओं ने असंतोषजनक नतीजे का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे भेज दिए। उपचुनाव को भाजपा सरकार के लिए इम्तिहान माना जा रहा था क्योंकि 225 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत कायम रखने के लिए उसे 15 में से कम से कम छह सीटों की जरूरत थी।
उपचुनाव में भाजपा के 12 सीटें जीतने के बाद पार्टी के पास (एक निर्दलीय सहित) 117 विधायक हो गए हैं। मास्की और आर के नगर की दो सीटें रिक्त रहने के बाद 223 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए 111 की संख्या से अधिक सीटें भाजपा के पास है। उच्च न्यायालय में मामले लंबित रहने के कारण दो सीटें-मास्की और आर के नगर अभी भी रिक्त हैं।
भाजपा ने दांव लगाते हुए कांग्रेस और जद (एस) के अयोग्य करार दिए गए 16 विधायकों में 13 को मैदान में उतारा। उनमें से 11 ने जीत हासिल की। भाजपा की जीत की गूंज झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली में भी सुनायी पड़ी, जहां उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पिछले दरवाजे से कर्नाटक में जनादेश चुराया था, जनता ने पार्टी को सबक सिखा दिया।
मोदी ने झारखंड के बरही में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग कहते थे कि दक्षिण भारत में भाजपा का प्रभाव सीमित है। कर्नाटक के उन लोगों को उपचुनाव में लोकतांत्रिक तरीके से सजा दी है। मोदी ने कहा कि कर्नाटक का परिणाम याद रखना बहुत जरूरी है क्योंकि उठापटक की राजनीति करने वाले नेताओं के लिए यह बहुत कड़ा संदेश है।
उन्होंने कहा, ‘उपचुनाव परिणाम में झारखंड और अन्य राज्यों के लिए तीन संदेश हैं। पहला कि लोग स्थिर सरकार चाहते हैं, दूसरा लोग जनादेश पलटने से अपमानित महसूस कर रहे थे और उन्होंने सबक सिखा दिया। तीसरा उन्होंने भरोसा किया कि भाजपा ही काम करने वाली सरकार दे सकती है।’
कांग्रेस केवल दो निर्वाचन क्षेत्रों हुनासुरु और शिवाजीनगर में ही जीत हासिल कर पायी। होसकोटे से निर्दलीय उम्मीदवार शरथ बच्चेगौड़ा ने जीत हासिल की। बच्चेगौड़ा को बागी के रूप में चुनाव लड़ने पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिये इससे पहले भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जद(एस) ने विधानसभा चुनाव के दौरान इन 15 सीटों में तीन निर्वाचन क्षेत्रों- के आर पेटे, महालक्ष्मी लेआउट और होंसुर में जीत हासिल की थी लेकिन उपचुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली। कांग्रेस और जद (एस) के 17 विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार जुलाई में गिर गयी थी और इसके बाद भाजपा सत्ता में आयी थी। बागी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के कारण ये उपचुनाव कराया गया।
मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने 29 जुलाई को विश्वासमत जीत लिया था। उस समय सदन के सदस्यों की संख्या घटकर 208 रह गयी थी। इस तरह बहुमत के लिये 105 सीटों की जरूरत रह गई थी। विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के बाद भाजपा के पास इतनी ही संख्या थी।
जीत हासिल करने वाले भाजपा के 12 उम्मीदवारों में अरबैल शिवराम हेब्बार (येल्लापुर), नारायण गौड़ा (के आर पेटे), बी सी पाटिल (हीरेकेरूर), श्रीमंत पाटिल (कगवाड), महेश कुमथल्ली (अथानी), के सुधाकर (चिकबल्लापुर), के गोपालैया (महालक्ष्मी ले आउट), आनंद सिंह (विजयनगर), रमेश जारकिहोली (गोकक), अरूण कुमार गुट्टूर (राणेबेन्नूर), एस टी सोमशेखर (यशवंतपुर) और बेराठी बसवराज (के आर पुरम) हैं।
कांग्रेस के उम्मीदवार रिजवान अरशद (शिवाजीनगर) और एच पी मंजूनाथ (हुनासुरु) ने जीत हासिल की। प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने स्थिरता और विकास के नाम पर वोट मांगे जबकि कांग्रेस और जद (एस) को भरोसा था कि दल बदलने वालों को जनता सबक सिखाएगी।
भारतीय जनता पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद खुश येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा कि वह अपने कार्यकाल के बचे समय में स्थिर और विकास को समर्पित सरकार देंगे। येदियुरप्पा के जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार करने की संभावना है। मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट में फिलहाल 18 मंत्री हैं जबकि राज्य में कुल 34 मंत्री हो सकते हैं।