न्यूज़ डेस्क। मोदी सरकार ने कोरोना महामारी से बचाव के लिए पूरे देश में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू किया है। लेकिन कांग्रेस शासित राज्य और उनके नेता अभियान को सफल बनाने की जगह इसमें रूकावटें डालकर सियासत करने में लगे हैं। इसका प्रमाण राजस्थान के डूंगरपुर से मिला है। जहां पांच-छह साल पहले मरे चुके लोगों को भी वैक्सीन लगायी जा रही है।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क के मुताबिक जिंदा लोगों को वैक्सीन नहीं मिल पा रही है, वहीं दूसरी ओर स्वर्गवासियों के नाम से वैक्सीनेशन पूर्ण होने के मैसेज आ रहे हैं। इससे दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर वैक्सीन घोटाले की आशंका जतायी जा रही है। कहा जा रहा है कि मृत लोगों के नाम पर वैक्सीन लेकर महंगे दामों पर दूसरे लोगों को बेची जा रही है।
फौज के बड़ला निवासी प्रवीण गांधी को मोबाइल पर गत दिनों मैसेज आए। इसमें उनके पिता रमेश चंद्र गांधी और माता इंदिरा देवी को कोविड वैक्सीन का पहला डोज सफलतापूर्वक लगाने का संदेश देते हुए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट डाउनलोड करने के लिए लिंक दिया गया। जब प्रवीण ने मैसेज देखा तो हैरान रह गए, क्योंकि उनके पिता रमेश चंद्र गांधी का 8 अप्रैल, 2014 और माता इंदिरा देवी का 20 फरवीर, 2015 को ही निधन हो चुका है।
प्रवीण गांधी ने बताया कि माता-पिता के दस्तावेज उनके पास सुरक्षित है। दोनों के आधार के साथ उनका ही मोबाइल नंबर रजिस्टर है। ऐसे में उनके पास मैसेज आने से टीकाकरण के बारे में जानकारी मिली। पांच-छह साल बाद उनके नाम से टीकाकरण का मैसेज आने से असमंजस की स्थिति बन गई है। उधर सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल किया कि सोनिया जी मरे हुए लोगों के नाम पर हमारे बच्चों की वैक्सीन का घोटाला क्यों किया ?
दिवंगत व्यक्तियों के नाम से टीकाकरण हो जाने से पूरी प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं। कोरोना टीकाकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति गलत आधार कार्ड लेकर पहुंचता है तो भी स्टाफ ने बिना सत्यापन के लिए उसका रजिस्ट्रेशन कर टीका लगा दिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस शासित राज्य पहले वैक्सीन की कमी का रोना रो रहे थे। जब वैक्सीन दी गई तो उनका किस तरह दुरूपयोग किया जा रहा है, इसका प्रमाण डूंगरपुर से मिला ही है। इसके अलावा वैक्सीन की चोरी के मामले सामने आए और 11.5 लाख कोरोना वैक्सीन के डोज बेकार हो गए।