रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की संकल्पना को साकार करने के लिए राज्य के सभी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के सहयोग से ग्रामीण तकनीकी केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य के 300 गौठानों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का निर्माण कराया जा रहा है। इसके लिए राज्य शासन द्वारा प्रथम किस्त के रूप में 300 करोड़ रूपए की स्वीकृति भी दी गई है। कई गौठानों में रीपा का निर्माण पूरा हो चुका है और वहां विभिन्न ग्रामीण उद्योग संचालित किए जा रहे हैं। यहां ग्रामीण तकनीकी केन्द्र स्थापित कर ग्रामीण युवाओं को विभिन्न रोजगार-व्यवसाय का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन केन्द्रों में फल सब्ज्यिों और लघु वनोपजों के विभिन्न उत्पाद तैयार करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह की अध्यक्षता में आज यहां हुई योजना आयोग की बैठक में रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मुख्य ग्रामीण तकनीकी केन्द्र बनाने का निर्णय लिया गया। सभी रीपा में ग्रामीण तकनीकी केन्द्र की स्थापना को लेकर बार्क के अधिकारियों ने अपनी सहमति दी है। बैठक में गोबर से विद्युत उत्पादन की इकाईयों के विस्तार पर भी चर्चा की गई।
राज्य योजना आयोग की बैठक में बार्क के अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण तकनीकी केंद्र में युवाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार से जुड़ने का प्रोत्साहन दिया जाएगा। इन केन्द्रों में फल-सब्जी और वनोपजों से विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री बनाने की विधि एवं अन्य विधाओं के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा। परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार की संयुक्त सचिव सुशमा ताईषेते ने राज्य में अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन और खाद्य विकिरण तकनीक के संबंध में राज्य की दूरदृष्टि और राज्य की पहल की सराहना की। उन्होंने राज्य की अपेक्षाओं की जानकारी प्राप्त करते हुए राज्य में स्थापित सभी ग्रामीण औद्योगिक पार्क में आकृति सेंटर्स स्थापना में सहयोग का आश्वासन दिया। बार्क के वैज्ञानिकों डॉ. एस. गौतम, डॉ. एस.टी. मेहेत्रे ने खाद्य पदार्थाे के लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के संबंध में आधुनिक विकरण तकनीक की जानकारी दी।
बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने राज्य में गोबर से बिजली उत्पादन के विषय में बताया कि छत्तीसगढ़, देश में सबसे बड़ा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादक राज्य है। उन्होंने राज्य में खाद्य विकिरण तकनीक की संभावनाओं और इससे आजीविका सृजन के बारे में बताया। साथ ही राज्य में महुआ, इमली, टमाटर आदि व लघु वनोपजों तथा अन्य उत्पादों के संबंध में आवश्यकताओं से अवगत कराया। उन्होंने बार्क से इस संबंध में उपलब्ध तकनीकों को प्रदान करने में सहयोग करने की अपेक्षा की।
बैठक में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने इस चर्चा को सार्थक बताया। उन्होंने राज्य में वन संसाधनों की बहुलता के बारे में बताते हुए धान और लघु वनोपजों, वनौषधियों की वृहद् उपलब्धता के विषय में ध्यान आकर्षित करते हुए इसके संबंध में बार्क से अपनी तकनीकों को साझा करने कहा। उन्होंने राज्य में 65 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य में भी सरकार द्वारा खरीदी की जानकारी दी और इस संबंध में विभागों के प्रतिनिधियों को बार्क और भारत सरकार से चर्चा कर आगामी कार्यवाही शुरू करने की बात कही।
इंदिरा गांधी कृृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चंदेल, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट आथोरिटी के सीईओ सुमित सरकार ने अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्य में जैवऊर्जा उत्पादन व खाद्य विकिरण के संबंध में किए जा रहे कार्यों के विषय में अवगत कराया। ऊर्जा विभाग के सचिव अंकित आनंद ने इस संबंध में स्वच्छ भारत मिशन की गोवर्धन योजना के लाभ लेने की जरुरत बताई।
बैठक में परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार की संयुक्त सचिव सुशमा ताईषेते, भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. एस. गौतम, डॉ. एस.टी. मेहेत्रे, राज्य योजना आयोग के सदस्य सचिव अनूप कुमार श्रीवास्तव, ऊर्जा विभाग के सचिव अंकित आनंद, इंदिरा गांधी कृृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चंदेल, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट आथोरिटी के सीईओ सुमित सरकार सहित ग्रामीण औद्योगिक पार्क के नोडल गौरव सिंह, वन विभाग के सचिव प्रेम कुमार, लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक आनंद बाबू एवं अन्य विभागों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।