गांव-गांव में आर्थिक स्वावलंबन को देंगे बढ़ावा : मुख्यमंत्री श्री बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी एवं किसान मेला का उद्घाटन किया । इस अंतर्राष्ट्रीय मेले में शासकीय, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की 132 संस्थाएं कृषि तकनीक एवं उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने मेले का उद्धाटन करते हुए कहा कि पुरखों के बताए रास्ते पर चलने से कांटे नहीं चुभते हैं, प्रदेश के खनिज भंडार व प्राकृतिक संसाधनों से मिलने वाली राशि का सही वितरण ही पुरखों का सपना था जो वर्तमान में साकार हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने कभी किसी भी वर्ग से भेदभाव नहीं किया और छोटे, बड़े सभी किसानों का कर्ज माफ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने खेती किसानी और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की ताकि प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था गतिशील रहे।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि उन्होंने प्रदेश की जनता से वायदा किया था और वो इससे पीछे नहीं हटे, कोरोना के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट होने के बाद भी किसानों को चार किस्तें जारी की और इस वित्तीय वर्ष की भी चौथी किस्त जारी होने वाली है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मजदूरों के लिए भी न्याय योजना शुरू की गयी है और अब उन्हें प्रतिवर्ष 6 हजार की जगह 7 हजार रूपए मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों का निर्माण करना सरकार की योजना नहीं है बल्कि किसानों और ग्रामीणों की योजना है जिसे हम सभी मिलकर तैयार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हम जितना सोच रहे हैं हमारे किसान साथी, महिलाएं, युवा और वैज्ञानिक उससे चार कदम आगे चल रहे हैं। गोधन न्याय योजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के किसी भी मंत्री ने आज तक गोबर से बने सूटकेस का इस्तेमाल बजट पेश करने के लिए नहीं किया, लेकिन छत्तीसगढ़ के गौठान में गोबर से निर्मित सूटकेट का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ में हुआ और मुझे ये सौभाग्य मिला।

छत्तीसगढ़ के किसानों की आर्थिक स्थिति के बारे में बात करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में किसानों के खाते में 91 हजार करोड़ रूपए जमा हुए हैं और ये कुल बजट का एक तिहाई हिस्सा है जो किसानों को मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज किसानों के खाते में पैसे बच रहे हैं और इसी की वजह से गौठान औद्योगिक पार्क में विकसित होते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के बेटे, स्थानीय युवा अब छत्तीसगढ़ में उद्योग लगाएंगे और सरकार उन्हें आर्थिक मदद भी प्रदान करेगी, इसी का एक उदाहरण है कि सी-मार्ट के जरिए गांवों में बनने वाले उत्पाद अब शहरों में बिकने शुरू हो गए हैं जिसे देखते हुए प्रत्येक जिले में सी-मार्ट खोलने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मांग के सिद्धांत को समझते हुए हमें जरूरत के अनुसार उत्पादन करना सीखना होगा ताकि अर्थव्यवस्था में मांग बनी रहे। इसी को देखते हुए देश में केवल छत्तीसगढ़ में तीन हजार रूपए समर्थन मूल्य की दर से कोदो-कुटकी की खरीदा की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 8 हजार से ज्यादा गौठान बन चुके हैं, लेकिन कहीं भी जमीन अतिक्रमण को लेकर कानून व्यवस्था नियंत्रित करने की स्थिति नहीं बनी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी गांव में पले-बढ़े हैं और हम गांव वालों की तकलीफ समझते हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि सुराजी ग्राम योजना के माध्यम से गांवों में स्वावलम्बन हो रहा है और किसान समृद्ध हो रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी एवं किसान मेले में किसानो को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छ्त्तीसगढ़ मुख्य रूप से कृषि पर आधारित प्रदेश है और छत्तीसगढ़ में कृषि का लगातार विकास हो रहा है जिसका असर खेत और खलिहान कर दिख रहा है। श्री चौबे ने छत्तीसगढ़ में कृषि का लगातार विस्तार होने और कृषि में नवाचार के लिए कृषि विश्वविद्यालय के प्रयासों की तारीफ की। श्री चौबे ने किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने और किसानो का कर्ज माफ करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया। श्री चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसान हर सेक्टर में मेहनत कर रहे हैं और उन्हें केंद्र सरकार से अच्छा इंफ्रास्टक्चर मिलना चाहिए क्योंकि छत्तीसगढ़ के उत्पादों की मांग अब विदेशों में भी हो रही है।

अंतर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी एवं किसान मेला के उद्धाटन अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष अग्नि चन्द्राकर, कृषि उत्पादन आयुक्त कमलप्रीत सिंह, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंदेल उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. आरके बाजपेयी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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