शिक्षक नए संकल्प के साथ शिक्षादान के कार्य में पूरे समर्पण के साथ जुट जाएं: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 16 जून से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र और शाला प्रवेशोत्सव के पावन अवसर पर सभी को गाड़ा-गाड़ा बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं नए शिक्षा सत्र के शुभारंभ, शाला प्रवेशोत्सव को सार्थक बनाते हुए नई ऊर्जा और नए संकल्प के साथ शिक्षादान के कार्य में पूरे समर्पण के साथ जुट जाएंगे। आप और हम मिलकर शिक्षित छत्तीसगढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि कोराना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण विगत 2 वर्षों में नियमित शालाएं गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, लेकिन हमने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी स्थिति में बच्चों के पढ़ने और बढ़ने में कोई बाधा न आए और उनका साल खराब न जाए। उन्होंने कहा कि नए शिक्षा सत्र 2022 की शुरुआत हम बहुत उम्मीदों के साथ कर रहे हैं कि इस वर्ष नियमित शालाएं संचालित हों, साथ ही पिछले सत्रों में हुए नुकसान की भरपाई भी हो सके। नए सत्र के साथ हम नए कार्यों का आगाज भी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सत्र से कुछ चयनित शालाओं में बालवाड़ी खोलने का निर्णय लिया है। मेरा मानना है कि हमारे शिक्षक-शिक्षिकागण यदि इस आयुवर्ग के बच्चों पर समुचित ध्यान देंगे तो बच्चे जल्दी ही विषय को आत्मसात कर सकेंगे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विगत पन्द्रह से अधिक वर्षों के दौरान चार सौ से अधिक शालाएं विभिन्न कारणों से बंद हो चुकी थी, जहां शालाओं का नियमित संचालन प्रारंभ करने की मांग स्थानीय समुदाय तथा पालकों द्वारा की जा रही थी। इस तरह इन अंचलों में 260 स्कूलों का नियमित संचालन प्रारंभ करने जा रहे हैं, जिनसे हजारों बच्चों की शिक्षा की बुनियाद मजबूत होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान ‘‘पढ़ई तुहर दुआर’’ प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाया था। जिसका अच्छा उपयोग हमारे शिक्षकों, पालकों एवं विद्यार्थियों ने किया। उन्होंने उम्मीद जताई है कि नवाचार और नई प्रौद्योगिकी अपनाने का सिलसिला आगे भी जारी रहे। शिक्षा को रूचिकर बनाने के प्रयासों का स्वागत है। प्रदेश में शिक्षा की अधोसंरचना तथा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी तथा हिन्दी माध्यम विद्यालय योजना संचालित की जा रही हैं, जिसके तहत 171 अंग्रेजी माध्यम एवं 32 हिन्दी माध्यम स्कूलों का संचालन प्रारंभ किया गया। जिन स्थानों से मांग आ रही है वहां भी इस योजना का लाभ देने की व्यवस्था की जा रही है। सरकार का प्रयास है कि सरकारी स्कूलों की उत्कृष्टता का स्तर किसी भी निजी स्कूल से कम न हो और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य भी उज्जवल हो।

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