जोधपुर। वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। जोधपुर में स्पेशल CBI कोर्ट ने 2002 में सरकार द्वारा संचालित होटल में कथित भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले में अरुण शौरी, पूर्व विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल और तीन अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
CBI के विशेष न्यायाधीश पूरन कुमार शर्मा ने यह भी आदेश दिया कि उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को राज्य सरकार को सौंप दिया जाए। अदालत ने यह आदेश लक्ष्मी विलास होटल को बाजार मूल्य से बहुत कम दाम में बेचने के मामले में दिया है। इस होटल को पहले भारतीय पर्यटन विकास निगम द्वारा चलाया जाता था, मगर 2002 में इसे भारत होटल्स लिमिटेड को बेच दिया गया, जो अब ललित ग्रुप ऑफ होटल्स चलाता है।
होटल की बिक्री से सरकार को 244 करोड़ रुपये के कथित नुकसान के मामले में CBI की एक क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए जज ने यह आदेश दिया। CBI रिपोर्ट में कहा गया था कि विनिवेश प्रक्रिया में अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन शुरू करने के लिए कोई सबूत नहीं थे।
हालांकि, अदालत ने इस मामले में केंद्रीय एजेंसी CBI के इस तर्क से असहमति जताई और एक क्लोजर रिपोर्ट पेश करने के लिए आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि तत्कालीन मंत्री अरुण शौरी और तत्कालीन सचिव प्रदीप बैजल ने अपने पदों का दुरुपयोग किया और सौदे में केंद्र सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।
इस मामले में तीन अन्य आरोपी आशीष गुहा, तत्कालीन निवेश फर्म लाजार्ड इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कांतिलाल करमसी विकमसे, तत्कालीन मूल्यांकन फर्म कांति करमसी एंड कंपनी के प्रमुख और भारत होटेल्स लिमिटेड के चेयरपर्सन और ज्योत्सना सूरी के प्रबंध निदेशक हैं। विशेष अदालत ने आदेश दिया कि उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि उन्हें अरेस्ट वारंट के जरिए तलब किया जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने उदयपुर जिला कलेक्टर को होटल को तुरंत कब्जे में लेने के लिए आदेश दिए। बता दें कि अरुण शौरी 1999-2004 के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार में केंद्रीय संचार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं विनिवेश मंत्री थे
गौरतलब है कि CBI ने 13 अगस्त 2014 को FIR दर्ज की थी, जिसमें प्रारंभिक जांच के आधार पर आरोप लगाया गया कि बैजल ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश में आपराधिक साजिश रची। एफआईआर के मुताबिक, होटल का शुरू में मूल्य 252 करोड़ रुपये था। लेकिन अंत में इसे 7.52 करोड़ रुपये में विनिवेश कर दिया गया था।