#माथेरान – भारत का सबसे छोटा हिल स्टेशन, खासियत, की स्वचालित वाहन मुक्त हिल स्टेशन, जहा जान हथेली पर रखकर आते है पर्यटक …..

पर्यटन डेक्स। दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं हैं, जो घूमने-फिरने के लिए ऐसी जगहों पर जाना पसंद करते हैं, जो एडवेंचर से भरी हो। कई बार तो ये एडवेंचर जगह खतरनाक भी होती है। आज हम आपको सैर करवाएंग़े ऐसी ही खतरनाक जगह पर, जो घूमने-फिरने के शौकीन लोगों के लिए एडवेंचर से भरी हुई है।

माथेरान एक ऐसा हिल स्टेशन है, जिसे देश का सबसे छोटा हिल स्टेशन माना जाता है। यह महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है और दुनिया की उन गिनी-चुनी जगहों में से एक है, जहां खतरनाक रास्ते होने के कारण किसी भी किस्म की गाड़ियां ले जाने पर सख्त प्रतिबंध है। पर्यटकों को यहां जाने के लिए ट्वॉय ट्रेन का इस्तेमाल करना पड़ता है, जो ऊंचे पहाड़ों के किनारे बेहद कठिन रास्तों से होकर गुजरती है।

परिचय :-
माथेरान, मुंबई से मात्र 110 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले में मौजूद है प्राकृतिक खूबसूरती से भरा छोटा सा हिल स्टेशन – माथेरान। कर्जत तहसील के अंदर आने वाला यह भारत का सबसे छोटा हिल स्टेशन है। यह पश्चिमी घाट पर्वत शृंखला में समुद्र तल से 800 मीटर (2625 फीट) की उँचाई पर बसा है। मुंबई और पुणे से इसकी दूरी क्रमशः 90 और 120 किलो मीटर है। बड़े शहरोंसे इसकी निकटता के कारण मातेरान शहरी नागरिकों के लिए एक सप्ताहांत बिताने के लिए लोकप्रिय स्थल है। यहां की खासियत है कि यहां किसी भी प्रकार के वाहन का प्रवेश वर्जित है। यही वजह है कि यहां का वातावरण मन को शांति प्रदान करता है। शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर सुकून के कुछ पल बिताने के लिये माथेरान बिल्कुल उपयुक्त स्थान है। मुंबई, पुणे और नाशिक के लोगों की तो यह पसंदीदा जगह है ही लेकिन अब उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों को भी यह स्थान अपनी ओर आकर्षित करने लगा है।

समुद्र तल से 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित देश के इस सबसे छोटे हिल स्टेशन की खोज मई 1850 में ठाणे जिले के कलेक्टर ह्यूज पोयन्ट्‌स मलेट ने की थी। मुंबई के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड एल्फिंस्टोन ने यहां भविष्य के हिल स्टेशन की नींव रखी और गर्मी के दिनों में वक्त गुजारने की दृष्टि से इसे विकसित किया गया। 5000 की आबादी वाला यह कस्बा आज शहरी लोगों के लिए सप्ताहांत बिताने का मनपसंद स्थान बन गया है। मुंंबई, पुणे और सूरत से आसानी से पहुंचे जा सकने के कारण भी लोगों में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।

माथेरान का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है नेरल स्टेशन जो यहां से 9 किलोमीटर दूर है। इसके आगे वाहनों का प्रवेश वर्जित है। आगे जाने के लिए या तो पैदल जाना होगा, या बग्गी, रिक्शे या घोड़ों का प्रयोग करना होगा। लेकिन यहां पहुंचने का सबसे अच्छा साधन है यहां की टॉय ट्रेन जिसके हाल ही में 100 साल पूरे हुए हैं। पहाड़ों पर चढ़ती उतरती इस ट्रेन में बैठकर ढाई घंटे की यात्रा में खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का आनंद उठाया जा सकता है। इसके अलावा ट्रॉली से भी यहां तक पहुंचा जा सकता है। माथेरान में प्रवेश करते ही यहां का वातावरण और शुद्ध हवा मन को ताजगी और स्फूर्ति से भर देता है।

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इस छोटे से हरे-भरे शहर में साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है। लेकिन यहां आने का सबसे अच्छा मौसम है मानसून। उस समय घाटियों में फैला कोहरा, हवा में तैरते बादल और भीगा-भीगा मौसम एक अलग ही समां पैदा करते हैं। माथेरान में प्राकृतिक नजारों का आनंद लेने के लिए 38 दृश्य बिंदु (व्यू पॉइंट्‌स) हैं जहां से वादियों में दूर तक फैली सुंदरता को आंखों में बसाया जा सकता है। इसके अलावा माउंट बेरी और शारलॉट लेक भी यहां के मुख्य आकर्षण हैं। माउंट बेरी से नेरल से आती हुई ट्रेन का दृश्य देखा जा सकता है। पहाड़ों पर हरियाली के बीच से घूम-घूम कर आती ट्रेन का दृश्य वाकई अभिभूत कर देता है। वहीं शारलॉट लेक यहां से सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। लेक के दायीं ओर पीसरनाथ का प्राचीन मंदिर है। वहीं बायीं और दो पिकनिक स्पॉट लुईस पॉइंट और इको पॉइंट हैं।

हनीमून पॉइंट पर रस्सी के द्वारा घाटी को पार करने का साहसिक और रोमांचक कार्य का भी अनुभव यहां किया जा सकता है। इसके अलावा एलेक्जेंडर पॉइंट, रामबाग पॉइंट, लिटिल चौक पॉइंट, चौक पॉइंट, वन ट्री हिल पॉइंट, ओलंपिया रेसकोर्स, लॉर्डस पॉइंट, सेसिल पॉइंट, पनोरमा पॉइंट इत्यादि अनेक स्थानों पर जाकर प्रकृति की खूबसूरती का अहसास कर सकते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिये यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है।

माथेरान का शाब्दिक अर्थ होता है माथे (पर्वत के) पर स्थित अरन्य। पर्यावरण की दृष्टि से अतिसंवेदनशील होने के कारण यह पूरे एशिया एक मात्र स्वचालित वाहन मुक्त हिल स्टेशन है। माथेरान मे पनोरमा पॉइंट सहित लगभग ३६ पूर्व निस्चित लुक-आउट पायंट्स हैं जहाँ से आप आस पास के सारे क्षेत्र के अलावा नेरल शाहर का भी विहंगम दृश्य प्राप्त कर सकते है। पनोरमा पॉइंट से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा बहुत नाटकीय और मनोरम होता है। लूयीसा पॉइंट के प्रबल फ़ोर्ट का सुस्पष्ट दर्शन होता है. वन ट्री हिल पॉइंट, हार्ट पॉइंट, मंकी पॉइंट, पोर्क्युपाइन पॉइंट, रामबाघ पॉइंट इत्यादि यहाँ के अन्य मुख्य पॉइंट हैं।

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इतिहास :-
माथेरान की खोज 1850 मे थाने जिले के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ह्यू पायंट्ज़ मेल्ट द्वारा की गयी थी। उस समय के बंबई के गवर्नर लॉर्ड एलफिन्सटोन ने इस भावी हिल स्टेशन की आधारशिला रखी। अँग्रेज़ सरकार ने इस इलाक़े मे पड़ने वाली गर्मी से बचाव के लिए माथेरान का विकास किया। माथेरान हिल रेलवे का निर्माण 1907 मे सर आदंजी पीर्भोय द्वारा किया गया था। घने जंगलो के विशाल इलाक़े मे फैला यह रेलवे 20 किलो मीटर (12 मिल) की दूरी तय करता है। माथेरान लाइट रेलवे के नाम से भी मशहूर इस स्थान का युनेसको वर्ल्ड हेरिटेज साइट के अधिकारियों द्वारा भी निरीक्षण किया गया था पर यह वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची मे स्थान पाने मे असफल रहा।

वन और वन्य जीवन :-
माथेरान को केन्द्रिय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है और यह अपने आप मे एक स्वास्थ्य आरोग्यआश्रम कहा जा सकता है। इस इलाक़े के अनेको सूखे पेड़ो का संग्रह ब्लात्तेर हर्बेरियम, स्ट्रीट। आइयेवियर’स कॉलेज, बॉमबे, मुंबई मे देखा जा सकता है। माथेरान मे उपस्थित एक मात्र स्वचालित वाहन इसकी नगरपालिका द्वारा संचालित एम्बुलेंस ही है। किसी भी निजी स्वचालित वाहन को अनुमति नही दी जाती। माथेरान के भीतर यातयात के साधानो के रूप मे घोड़े और हाथ से खींचे जाने वाला रिक्सा ही उपलब्ध होता है। माथेरान मे बड़ी संख्या मे औषधीय पौधे और जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं. इस शहर मे बॉनेट मकाक्स, हनुमान लंगूरस समेत बहुत सारे बंदर भी पाए जाते हैं। निकट में ही अवस्थित लेक शार्लट माथेरान का पीने के पानी का प्रमुख श्रोत है। जंगल के अंदर कई तरह के जानवर जैसे कि तेंदुए, हिरण, मलाबार जाइयंट गिलहरी, लोमड़ी, जंगली सुअर, नेवले आदि पाए जाते हैं।

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खतरे के बावजूद देश-विदेश से आते हैं पर्यटक :-
घुमावदार रेल ट्रैक और उसके एक किनारे बेहद खतरनाक खाई, आप सोच सकते हैं कि यह सफर जान जोखिम में डालने जैसा है। मगर बताया जाता है कि खाई के किनारे ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर को यहां खास ट्रेनिंग दी जाती है, जो बेहद सावधानी से ट्रेन को खाई के बगल से ले जाता है। सफर के पहले पर्यटकों को भी इस रूट पर सावधानी बरतने की चेतावनी दी जाती है।

वैसे तो यहां पूरे साल प्रकृति के अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं, मगर बारिश के मौसम में कच्चीत सड़कों पर फिसलने का खतरा रहता है। हालांकि इस मौसम का भी अपना अलग मजा है। बारिश में यहां के पहाड़ वाटर फॉल में बदल जाते हैं।

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कैसे पहुंचे :-
हवाई मार्ग :- माथेरान के सबसे नजदीक के एयरपोर्ट मुंबई (100 किलोमीटर) और पुणे (120 किलोमीटर) हैं। इन एयरपोर्ट्स से आप बस या टैक्सी बुक कर सीधे माथेरान जा सकते हैं। हालांकि, वीइकल्स बैन जोन होने के कारण आपको शहर से करीब 2.5 किलोमीटर बाहर ही उतरना होगा। वहां से आप घोड़े की सवारी कर या रिक्शा के जरिए माथेरान जा सकते हैं।

रेल मार्ग :- नेरल स्टेशन माथेरान से सबसे नजदीक है। इनके बीच की दूरी करीब 21 किलोमीटर है। मुंबई और पुणे पहुंचने पर यहां से आप डेक्कन एक्सप्रेस या सहयाद्री एक्सप्रेस में टिकट बुक करवा सकते हैं, जो नेरल तक जाती हैं। नेरल से आप सड़क मार्ग के जरिए आधे घंटे में माथेरान पहुंच सकते हैं।
वैसे नेरल से माथेरान पहुंचने का एक और ऑप्शन टॉय ट्रेन है। इस यात्रा में करीब दो घंटे का समय लगेगा, लेकिन प्राकृतिक सुंदरता के नजारों के बीच से गुजरते हुए यह अनुभव आपके लिए यादगार बन जाएगा।

सड़क मार्ग :- माथेरान के लिए आप मुंबई या पुणे से स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस ले सकते हैं। अगर आप खुद की कार से जाना चाहते हैं तो यह भी अच्छा ऑप्शन है। हालांकि, आपको अपनी गाड़ी दस्तूरी पॉइंट पर पार्क करनी होगी, इसके बाद ही आप शहर में अंदर जा सकेंगे।

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