नई दिल्ली। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक के झंडों से लेकर ईयरबड तक पर एक जुलाई से पाबंदी होगी। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इसके उत्पादन, भंडारण, वितरण और इस्तेमाल से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। इसमें 30 जून से पहले इन पर पाबंदी की तैयारी पूरी करने को कहा गया है।
एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। ये प्लास्टिक उत्पाद लंबे समय तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। नुकसान को देखते हुए अगस्त 2021 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस पर रोक को लेकर अधिसूचना जारी की थी। इसमें एक जुलाई से इस तरह के तमाम आइटमों पर पाबंदी लगाने को कहा गया था। इसी क्रम में सीपीसीबी की ओर से सभी संबंधित पक्षों के लिए नोटिस जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि 30 जून तक इन आइटमों पर पाबंदी की सारी तैयारी पूरी कर ली जानी चाहिए।
सीपीसीबी के नोटिस के मुताबिक एक जुलाई से प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड, गुब्बारे में लगने वाले प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट में काम आने वाले थर्माकोल आदि शामिल हैं। इसके साथ ही प्लास्टिक कप, प्लेट, गिलास, कांटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलेरी आइटम, मिठाई के डिब्बों पर लगाई जाने वाली प्लास्टिक, प्लास्टिक के निमंत्रण पत्र, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पीवीसी बैनर आदि शामिल हैं।
सीपीसीबी के नोटिस में इसका उल्लंघन करने वालों को कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इसमें उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जड़े उद्यमों को बंद करना जैसी कार्रवाई शामिल है।
- सिंगल यूज प्लास्टिक न आसानी से नष्ट होता है, न रिसाइकिल होता है
- इस प्लास्टिक के नैनो कण घुलकर पानी और भूमि को प्रदूषित करते हैं
- जलीय जीवों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, नाले चोक होने का भी कारण हैं
सीपीसीबी ने सभी उत्पादकों, स्टॉकिस्ट, दुकानदारों, ई-कॉमर्स कंपनियों, स्ट्रीट वेंडर, मॉल, मार्केट, शॉपिंग सेंटर, सिनेमा हॉल, टूरिस्ट लोकेशन, स्कूल, कॉलेज, ऑफिस कॉम्प्लेक्स, अस्पताल व अन्य संस्थानों व आम लोगों को इन आइटमों के उत्पादन, वितरण, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात कही है। इनसे कहा गया कि वे 30 जून तक अपना स्टॉक खत्म करना सुनिश्चित करें ताकि एक जुलाई से पूरी तरह से पाबंदी को लागू किया जा सके।