नई दिल्ली। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को अब तक हल्का माना जा रहा है। शायद इसलिए भी क्योंकि बीते साल डेल्टा वेरिएंट की तुलना में यह कम जानलेवा है लेकिन अगर किसी ने कोरोना टीका नहीं लिया है तो उसके ओमिक्रॉन भी कहर बरपा सकता है। मुंबई के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। यहां कोरोना से संक्रमित जिन लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखे जाने की जरूरत पड़ रही है, उनमें से अधिकांश ने टीका नहीं लिया है। बृहन्मुंबई नगरपालिका के मुखिया ने इसकी जानकारी दी।
छह जनवरी तक के आंकड़ों को देखते हुए बीएमसी कमिश्नर इकबाल चहल ने कहा, ‘ऑक्सीजन बेड पर भर्ती 1900 कोरोना मरीजों में से 96 प्रतिशत ऐसे हैं, जिन्होंने टीका नहीं लिया जबकि सिर्फ 4 फीसदी ही टीकाकृत हैं।’
शहर में सभी प्राइवेट अस्पतालों के कोऑर्डिनेटर और बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉक्टर गौतम भंसाली ने कहा, ‘अस्पताल में भर्ती होने के मामले में टीका ले चुके और न लेने वाले दोनों ही तरह के मरीज हैं लेकिन ऑक्सीजन बेड पर अधिकांश वही मरीज हैं जिन्होंने कोरोना टीका नहीं लिया है। ऐसे मरीजों की आयु 40 से 50 साल के बीच या उससे ज्यादा है।’ उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि हर नागरिक के लिए कोरोना टीका लेना कितना जरूरी है।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ और कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर ओम श्रीवास्तव कहते हैं कि बहुत से लोगों ने केसों में उछाल आने के बाद टीका लेना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर गहन अध्ययन नहीं किया गया है लेकिन ऑक्सीजन सपोर्ट पर बिना टीका लिए मरीजों की अधिक संख्या इस तरफ साफ इशारा करती है कि कैसे टीका न लेने वालों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा है। डॉक्टर श्रीवास्तव के मुताबिक, ओमिक्रॉन शरीर के अपर रेस्पिरेटरी एरिया को प्रभावित कर रहा है और इससे संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है।