नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कोविड मरीजों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया है कि किसी भी मरीज को इस आधार पर इलाज या ऑक्सीजन देने से मना नहीं किया जाएगा कि मरीज किसी दूसरे राज्य या शहर से है। किसी भी मरीज को इस आधार पर भर्ती करने से मना नहीं किया जाएगा कि जिस राज्य में अस्पताल है, उस राज्य का वैध पहचानपत्र मरीज के पास नहीं है।
राज्यों के मुख्य सचिवों और अन्य को लिखे एक पत्र में, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि यह आदेश निजी अस्पतालों सहित केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी अस्पतालों पर लागू रहेगा।
नए दिशानिर्देश 30 अप्रैल के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप हैं और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए जारी किए गए हैं।
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, कोविड स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में मरीज को भर्ती करने के लिए कोविड-19 संक्रमण की पॉजिटिव रिपोर्ट का होना अनिवार्य नहीं है। संदिग्ध मामले में मरीज को सीसीसी, डीसीएचएस अथवा डीएचसी (जो भी लागू हो) के संदिग्ध मरीजों के वार्ड में भर्ती किया जाएगा।
मरीज को किसी भी हाल में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने से इनकार नहीं किया जाएगा। इसमें ऑक्सीजन अथवा अनिवार्य दवाइयों जैसा उपचार शामिल है। यहां तक कि मरीज के किसी अन्य राज्य से संबंध रखने पर भी उसे सुविधाएं दी जाएंगी।
अस्पतालों में मरीजों को जरूरत के आधार पर भर्ती किया जाएगा। निर्देशों के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिन्हें बेड की आवश्यकता नहीं है, वे बिना जरूरत के अस्पताल में भर्ती होकर बेड का इस्तेमाल न करें। साथ ही मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज करते समय संशोधित डिस्चार्ज पॉलिसी को सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तीन दिन के भीतर उपरोक्त निर्देशों को शामिल करते हुए आवश्यक आदेश और परिपत्र जारी करने की सलाह दी है। ये संशोधित निर्देश तब तक प्रभावी रहेंगे, जब तक कोई यूनिफॉर्म पॉलिसी इनका स्थान नहीं ले लेती।