नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए सबसे ज्यादा विश्वसनीय आरटी-पीसीआर जांच को माना जाता है। आईसीएमआर ने कहा है कि जून महीने के खत्म होते-होते देश में कोरोना जांच की क्षमता को बढ़ाकर हर दिन 45 लाख तक करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, यह लक्ष्य आरटी-पीसीआर टेस्ट से नहीं बल्कि कम भरोसेमंद माने जाने वाले एंटीजन टेस्ट की संख्या को बढ़ाकर पूरा किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना थी कि देश में 70 फीसदी आरटी-पीसीआर जांच हो और 30 फीसदी रैपिड एंटीजन टेस्ट। हालांकि, इससे उलट सरकार ने गुरुवार को ऐलान किया है कि इस महीने के आखिर तक देश में आरटी-पीसीआर जांच घटकर सिर्फ 40 प्रतिशत ही रह जाएगी। इसकी बजाय, अब रैपिड एंटीजन टेस्ट को बढ़ाया जाएगा और कुल जांच में इसके हिस्सेदारी 60 फीसदी तक हो जाएगी।
दो महीने पहले ही पीएम मोदी ने राज्यों को सलाह दी थी कि कुल जांच में से 70 फीसदी आरटी-पीसीआर टेस्ट होने चाहिए, भले ही पॉजिटिव मामले ज्यादा क्यों न हों।
निजी न्यूज़ चैनल के मुताबिक, सरकार ने बीते हफ्ते 16 लाख की तुलना में इस हफ्ते आरटी-पीसीआर टेस्ट क्षमता को घटाकर 12-13 लाख प्रति दिन कर दिया है।
आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने गुरुवार को कहा, ‘हमने इस हफ्ते 16 से 20 लाख टेस्ट किए हैं और इसे महीने के अंत तक बढ़ाकर हर दिन 20 लाख तक करेंगे। इसके बाद अगले महीने के आखिर तक हम हर दिन 45 लाख टेस्ट करेंगे क्योंकि आईसीएमआर ने 105 से ज्यादा रैपिड एंटीजन टेस्ट कंपनियों की पहचान की है और इनमें से 41 को मंजूरी दे दी है। इन 41 में से 31 कंपनियां स्वदेशी हैं।’ 45 लाख में से 18 लाख आरटी-पीसीआर टेस्ट होंगे तो वहीं 27 लाख रैपिड एंटीजन टेस्ट।
उन्होंने बताया कि शहरों में आरटी-पीसीआर टेस्ट ही मुख्य रूप से किए गए लेकिन ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा रैपिड टेस्ट ही किए गए हैं और इसी के भरोसे जांच हो रही है। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में हमें रैपिड टेस्ट बढ़ानी पड़ेगी। हमने सभी मुख्य सचिवों को इस बारे में लिखा है और उन्होंने काम भी शुरू कर दिया है। शहर, गांव और कस्बों में 24 घंटे खुले रहने वाले कई रैपिड टेस्ट बूथ बनाने होंगे।