नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के बाद अब कप्पा वेरिएंट को लेकर चर्चा हो रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में कोरोना का नया वेरिएंट कप्पा के दो मामले सामने आए हैं। इस वेरिएंट के सामने आने के बाद लोगों को चिंता और भी बढ़ गई है। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार (09 जुलाई) को कहा है कि कप्पा वेरिएंट भारत में कोई नया वेरिएंट नहीं है। देश में पहले भी इसके मामले सामने आ चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि कोविड-19 का कप्पा संस्करण ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ है। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा, ” कप्पा वेरिएंट का भारत में उसी समय पता चला था जब डेल्टा वेरिएंट रिपोर्ट की गई थी। लेकिन दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वेरिएंट ही ज्यादा प्रभावी और भारी रहा।”
डॉ वीके पॉल ने कहा, कप्पा का वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट इतना ज्यादा खतरनाक नहीं है। कप्पा वेरिएंट बहुत कम तीव्रता का है और पहले फरवरी और मार्च में देश में कप्पा वेरिएंट के केस सामने आ चुके हैं। भारत में फरवरी और मार्च में ही कप्पा वेरिएंट को लेकर सूचना दी गई थी। डॉ वीके पॉल ने कहा, ” देश में कप्पा वेरिएंट के मामलों का पता चलता है तो इसका मतलब ये है कि देश में कप्पा वेरिएंट के केस अब भी हैं। कप्पा वेरिएंट की तीव्रता में बहुत कम है। लेकिन फिर भी हम इसकी निगरानी करेंगे।”
भारत के उत्तर प्रदेश में अब कप्पा वेरिएंट के दो मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से एक 66 वर्षीय मरीज की मौत हो गई है। जिससे लोगों में दहशत फैल गई है। डॉ वीके पॉल ने इसको ध्यान में रखथे हुए कहा, हमें कप्पा वेरिएंट के साइंटिफिक इफेक्ट और वैक्सीन प्रतिरक्षा पर नजर रखने की जरूरत है।
कप्पा वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ((WHO) द्वारा भी वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI) के रूप में नामित किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई के अंत में वेरिएंट का नाम कप्पा दिया था। जब इसके मामले एक दर्जन से अधिक पाए गए थे। कप्पा वेरिएंट में दो की पहचान की गई है E484Q और L452R। इसलिए कप्पा को “डबल म्यूटेंट” भी कहा जाता है।
कोरोना के कप्पा वेरिएंट से संक्रमित या पीड़ित लोगों में तेज बुखान, खांसी, गले में खराश, गले में जलन और सिरदर्द जैसे शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं। कप्पा वेरिएंट के माइल्ड और गंभीर लक्षण कोरोना के अन्य म्यूटेंट्स के लक्षण की ही तरह घातक होते हैं। हालांकि कप्पा वेरिएंट को लेकर फिलहाल शोध की कमी है। इसको लेकर रिसर्च जारी है।