अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलेगा 27 प्रतिशत आरक्षण : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रदेशवासियों को कई महत्वपूर्ण सौगात दी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में एक नए जिले के निर्माण की घोषणा की। यह जिला ‘गौरेला- पेण्ड्रा-मरवाही’ के नाम से जाना जाएगा। इस तरह अब छत्तीसगढ़ 28 जिलों का राज्य बन जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने 25 नई तहसीलें भी बनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश निवासी अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की घोषणा के साथ ही सरकार की तरफ से गौठान समितियों को प्रतिमाह 10 हजार रूपए की सहायता और लेमरू एलीफंेट रिजर्व बनाने की घोषणा भी इस अवसर पर की। प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त कराने गांधी जयंती 2 अक्टूबर से प्रदेश में सुपोषण अभियान के शुभारंभ की घोषणा भी की।

मुख्यमंत्री श्री बघेल स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ पर आज यहां राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउण्ड में आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। उन्होंने प्रदेश की जनता को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को रक्षाबंधन और भोजली पर्व की शुभकामनाएं भी दी। श्री बघेल ने अपने संदेश में कहा कि जनता को विभिन्न लोकतांत्रिक और मौलिक अधिकारों से सशक्त करना भी हमारी विरासत है। भारत में आज जनता को जितने भी संविधान सम्मत अधिकार प्राप्त हैं, वे हमारे महान नेताओं की देन हैं। हमारी सरकार पंचायतों, नगरीय-निकायों के सशक्तीकरण के साथ ही शिक्षा, सूचना, रोजगार, खाद्यान्न सुरक्षा जैसे तमाम अधिकारों को पुष्ट करेगी। प्रदेश के विकास में गांधी-नेहरू ने नींव रखी उस विरासत को हमें आगे बढ़ाना होगा।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि – सरकार प्रशासन को जनहित के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए एक ओर जहां अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने मूल कार्यों पर ध्यान देने के लिए सचेत किया, वहीं जवाबदेही तय करने के लिए ‘लोकसेवा गारंटी अधिनियम’ का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया है। लोगों की बहु-प्रतीक्षित मांग को पूरा करते हुए एक नए जिले के निर्माण किया जाएगा। यह जिला ‘गौरेला- पेण्ड्रा-मरवाही’ के नाम से जाना जाएगा। इस तरह अब छत्तीसगढ़ 28 जिलों का राज्य बन जाएगा। इसके अलावा 25 नई तहसीलें भी बनाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश का अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग तबका काफी शांतिप्रिय ढंग से अपने अधिकारों की बात करता रहा है। उनके संविधान सम्मत अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश निवासी अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गौठान की सुचारू व्यवस्था के लिए निश्चित तौर पर समाज की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। सरकार की तरफ से गौठान समितियों को प्रतिमाह 10 हजार रूपए की सहायता दी जाएगी, जिससे गौठान में काम करने वाले चरवाहों को मानदेय देने सहित अन्य इंतजाम किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने लेमरू एलीफेंट रिजर्व की घोषणा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में हाथियों की आवा-जाही से कई बार जान-माल की हानि होती है। इसकी एक बड़ी वजह है, हाथियों को उनकी पसंदीदा जगह पर रहने की सुविधा नहीं मिल पाना भी है। ‘लेमरू एलीफेंट रिजर्व’ दुनिया में अपनी तरह का पहला ‘एलीफेंट रिजर्व’ होगा, जहां हाथियों का स्थाई ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवा-जाही तथा इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता तथा वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा।

मुख्यमंत्री ने किया स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी में सम्बोधन की शुरूआत करते हुए कहा कि हमर छत्तीसगढ़ के जम्मो सियान, दाई-दीदी, संगी-जहुंरिया, नोनी-बाबू मन ल सुराजी तिहार के पावन बेरा म गाड़ा-गाड़ा बधाई। मैं आज उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता हूं, जिन्होंने भारतमाता को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए एक सदी से अधिक लम्बी लड़ाई लड़ी। अमर शहीद गैंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रानी लक्ष्मी बाई और हर जाति-धर्म के हजारों लोगों के बलिदान से देश आजाद हुआ था। हजारों लोगों ने आजादी की लड़ाई से लेकर भारत के नवनिर्माण तक महती भूमिका निभाई थी। आज का दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुुलकलाम आजाद से लेकर छत्तीसगढ़ के वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफखान, हनुमान सिंह, रोहिणी बाई परगनिहा, केकती बाई बघेल, श्रीमती बेला बाई जैसे अनेक प्रसिद्ध तथा असंख्य गुमनाम कर्मयोद्धाओं को याद करने और नमन करने का है।

किसानों को आर्थिक आजादी देने के सार्थक कदम

राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ महतारी की सबसे बड़ी उम्मीद, धान का सम्मानजनक दाम देने का फैसला किया 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल धान, समस्त किसानों के अल्पकालिक कृषि ऋणों की माफी, सिंचाई कर की माफी, वन टाइम सेटलमेंट से किसानों को नए सिरे से खेती के लिए ऋण लेने की सुविधा दिलाने जैसे ठोस कदम उठाए गए हैं। किसी भी राज्य के इतिहास में सरकार की पहल से छह महीनों में किसानों को इतनी बड़ी राशि नहीं मिली होगी। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर इस बार किसानों को सर्वाधिक ऋण देने का लक्ष्य भी पूरा करेंगे। राज्य शासन द्वारा विकास योजनाओं के लिए किसानों की भूमि के अधिग्रहण पर मुआवजा राशि, दोगुना से बढ़कर चारगुना करने का निर्णय लिया गया है। इस तरह हमने किसानों को आर्थिक आजादी देने के सार्थक कदम उठाए हैं।

गावों की अर्थ व्यवस्था और पर्यावरण को नया जीवन देने की पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि ’नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ के माध्यम से गांवों की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को नया जीवन देने की पहल की है। अल्प समय में ही हमने ‘नरवा’ विकास के लिए 1 हजार 28 नालों का चयन किया है। इसके अलावा जल संसाधन विकास की नियमित प्रक्रिया से भी लगभग 1 हजार करोड़ रू. लागत की 223 योजनाओं की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। ‘गरवा’ यानी पशुधन की समृद्धि और योगदान के लिए हम हर ग्राम पंचायत में 3 से 5 एकड़ अविवादित जमीन गौठान के लिए सुरक्षित करवा रहे हैं। लगभग 19 सौ गौठानों के निर्माण के क्रम में एक हजार से अधिक गौठान का लोकार्पण किया जा चुका है। एक हजार 560 चारागाह के काम भी स्वीकृत किए गए है। गौठान हमारी ग्रामीण संस्कृति के केन्द्र हुआ करते थे लेकिन अब गांवों के आर्थिक विकास के केन्द्र भी बनेंगे। ‘घुरवा’ को हम गांवों की स्वच्छता और पर्यावरण से जोड़ते हुए ऐसे उत्पादों का केन्द्र भी बनाएंगे, जिनका अपना आर्थिक महत्व हो। एक लाख 34 हजार से अधिक ‘बाड़ियों’ का सर्वेक्षण किया जा चुका है।

अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति को बराबरी के अवसर

अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति को बराबरी से विकास के अवसर और गरिमापूर्ण जीवनयापन की सुविधाएं मिलें, इसके लिए हमने लीक से हटकर बड़े कदम उठाए हैं। लोहाण्डीगुड़ा में उद्योग लगाने के नाम पर ली गई किसानों की जमीनों पर न तो उद्योग लगा, न आदर्श पुनर्वास नीति का पालन हुआ, न किसानों की कोई सुनवाई हो रही थी। हमने आते ही जमीन वापसी का निर्णय लिया और इस साल 26 जनवरी से जो काम शुरू किया गया था, वह अब पूरा हो चुका है।

हमने अबूझमाड़ियों को उनका हक दिलाने की विशेष पहल की है। ‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम’ के तहत जिन आवेदनों को खारिज कर दिया गया था, उसकी पुनः समीक्षा की जा रही है ताकि पात्र हितग्राहियों को न्याय मिल सके। वहीं सामुदायिक वन अधिकार देने का महाअभियान शुरु किया गया है जिसके तहत् कोंडागाँव जिले के 9 गाँवों में 8 हजार 220 एकड़ जमीन के पट्टे जारी किए गए हैं। आदिवासी बहुल अंचलों की समस्याओं के शीघ्र समाधान हेतु प्राधिकरणों की संख्या 2 से बढ़ाकर 3 कर दी गई है। साथ ही नवगठित बस्तर, सरगुजा, मध्यक्षेत्र विकास प्राधिकरणों का अध्यक्ष पद मुख्यमंत्री के स्थान पर स्थानीय विधायक को दिया गया है व दो स्थानीय उपाध्यक्ष भी बनाए गए हैं।

‘इन्द्रावती विकास प्राधिकरण’ के गठन का निर्णय

हमारी सरकार ने ‘इन्द्रावती विकास प्राधिकरण’ के गठन का निर्णय लिया है। महानदी, शिवनाथ, केलो, हसदेव बांगो, खारून को प्रदूषण से बचाने का काम स्थानीय निकायों के माध्यम से किया जाएगा। बस्तर के अनेक अनुसूचित जनजाति परिवार आपराधिक मुकदमों से राहत दिलाने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित कर कार्यवाही शुरू की है। प्री. मैट्रिक छात्रावास, आवासीय विद्यालयों तथा आश्रमों में निवासरत विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति को बढ़ाकर एक हजार रु. प्रतिमाह कर दिया गया है। अब बच्चे के जन्म के साथ पिता के जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर बच्चे को भी जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जा रहा है।

‘कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड’ के गठन का निर्णय

स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए बस्तर तथा सरगुजा में ‘कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड’ का गठन किया जा रहा है। बस्तर तथा सरगुजा संभाग की तरह कोरबा जिले में भी तृतीय तथा चतुर्थ वर्ग के पदों पर भर्ती के लिए जिला संवर्ग की व्यवस्था करते हुए इनकी समय-सीमा भी बढ़ाकर 31 दिसम्बर 2021 कर दी गई है। राज्य की अत्यंत पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को शासकीय सेवा में सीधी भर्ती का लाभ दिया जाएगा । वन क्षेत्रों में तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रू. प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रु. कर दी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 15 कर दी गई है तथा इस पर भी बोनस देने की व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 5 साल से कम उम्र के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से तथा 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिशत माताएं एनीमिया से पीड़ित हैं। हमने आदिवासी अंचलों में प्रोटीनयुक्त पोषण के लिए चना, फल, अण्डा आदि सामग्री वैकल्पिक रूप से उपलब्ध कराने से नई शुरूआत की है। फिलहाल बस्तर, दंतेवाड़ा, कोरबा, सरगुजा, कोरिया एवं कुछ अन्य जिलों की चुनिन्दा पंचायतों में ’पायलट प्रोजेक्ट’ शुरू किया गया है। अब पूरी तैयारी के साथ 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती के अवसर पर यह महायज्ञ पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा।

आंगनवाड़ी कार्यकताओं- सहायिकाओं के मानदेय में बढोत्तरी

आंगनवाड़ी कार्यकताओं और सहायिकाओं का योगदान को देखते हुए इनका मानदेय बढ़ाने का निर्णय लिया है। दस हजार आंगनवाड़ी केन्द्रों को नर्सरी स्कूल के रूप में विकसित करने हेतु कार्यवाही शुरू कर दी है। दो हजार आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की मंजूरी दी गई है।

सरकार ने 35 किलो चावल देने का वादा निभाया

सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राज्य सरकार ने न सिर्फ 35 किलो चावल देने का वादा निभाया है, बल्कि इसे युक्तियुक्त करते हुए छठवें सदस्य से प्रति सदस्य अतिरिक्त 7 किलो चावल, एपीएल परिवारों को भी 10 रू. किलो में चावल प्रदाय करने का निर्णय लिया है। पीडीएस से राशनकार्डधारी परिवारों को चावल, शक्कर, नमक, चना, केरोसिन के साथ-साथ बस्तर संभाग में अंत्योदय एवं प्राथमिकता वाले परिवारों को हर माह दो किलो गुड़ देने का निर्णय लिया है।

‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ में सहायता का दायरा बढ़ाते हुए 15 हजार रूप्ए के स्थान पर 25 हजार रूपए कर दिया है। ‘निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता राशि 50 हजार रू. से बढ़ाकर एक लाख रू. कर दी गई है।

दो दशक बाद 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती का निर्णय

नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा के साथ सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने दो दशक बाद 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। शिक्षा को रूचिकर बनाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग शुरू किया गया है, इसे ’’ब्लैक बोर्ड से की बोर्ड की ओर’’ अभियान का नाम दिया गया है। इसी प्रकार महाविद्यालयों में शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक पदों पर बड़ी संख्या में भर्ती की जा रही है।

’खेल प्राधिकरण’ के गठन का निर्णय

प्रदेश में खेल प्रतिभाओं को उचित प्रशिक्षण देकर तराशने के लिए ’खेल प्राधिकरण’, अलग-अलग अंचलों की विशेषताओं के आधार पर स्पोर्टस स्कूल एवं खेल अकादमी की स्थापना का निर्णय लिया है। प्रदेश में 55 खेल प्रशिक्षकों की भर्ती की जाएगी।

सबके लिए ‘यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम’ की पहल

प्रदेश में ‘यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम’ के अंतर्गत सबके स्वास्थ्य की चिंता की है, जिसके लिए विभिन्न स्वास्थ्य इकाइयों का उन्नयन किया जा रहा है। अनेक नई सुविधाएं शुरू की जा रही हैं। नारायणपुर, सुकमा तथा कोण्डागांव में विशेष नवजात गहन चिकित्सा इकाई शुरू की गई है। इस वर्ष 17 मातृ-शिशु अस्पताल शुरू किए जाएंगे। गर्भवती माताओं को विभिन्न तरह की निःशुल्क जांच की सुविधा के अलावा विभिन्न मरीजोें के लिए अनेक निःशुल्क सुविधाएं शुरू की जाएंगी, जैसे सिकलसेल की जांच, डायलिसिस, पैथोलॉजी जांच आदि। पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर में हृदय रोग के उपचार हेतु ‘स्टेमी मॉडल’ की स्थापना की जाएगी। ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ के तहत आदिवासी बहुल अंचलों में स्वास्थ्य जांच, इलाज तथा दवा वितरण की सुविधा का विस्तार किया जा रहा है।

देश में विद्युत आपूर्ति की सबसे विश्वसनीय व्यवस्था

छत्तीसगढ़ में विद्युत आपूर्ति की विश्वसनीयता देश में सर्वाधिक है। बिजली प्रदाय में सुधार के लिए सिर्फ 6 माह में 316 नए उपकेन्द्र, 280 उपकेन्द्रों का काम पूरा हो चुका है। पुराने उपकेन्द्रों में 210 नए ट्रांसफार्मर लगाने तथा क्षमता बढ़ाने के काम किए गए हैं। बिजली की ट्रांसमिशन क्षमता सिर्फ छह माह में 5 प्रतिशत से बढ़कर 7 हजार 790 एम.वी.ए. हो गई है। सरगुजा में छत्तीसगढ़ की बिजली पहुंचाने और गरियाबंद में कनेक्टिविटी की समस्या हल करने के ऐसे इंतजाम किए गए हैं, जिसका इंतजार बरसों से था। किसानों को निःशुल्क बिजली देने की योजना का लाभ 5 लाख किसानों को मिल रहा है। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसानों को तो पूरी खपत पर बिजली बिल से छूट दी गई है।

छत्तीसगढ़ के लिए पंडित नेहरू का योगदान अवस्मरणीय

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों से भिलाई इस्पात संयंत्र, एनटीपीसी, एनएमडीसी, एसईसीएल, बाल्को सहित राज्य के तमाम सार्वजनिक उपक्रम, राज्य विद्युत मण्डल आदि स्थापित हुए। क्या भिलाई इस्पात संयंत्र की तरह सामाजिक-आर्थिक, सामुदायिक, शैक्षिक विकास का कोई मॉडल दूसरा बन पाया है और यदि नहीं तो हमें अपने महान पुरखों के योगदान को कमतर आंकने का क्या हक है। आज इस पावन अवसर तथा इस पवित्र मंच से मैं संकल्प पूर्वक कहना चाहता हूं कि हम गांधी-नेहरू की विरासत को आगे बढ़ाएंगे। इस दिशा में काम करते हुए सभी तरह की अधोसंरचना का विकास हमारी प्राथमिकता है।

राज्य में 200 फूड पार्कों की होगी स्थापना

राज्य में कृषि और वन उत्पादों में रोजगार की अपार संभावनाओं को देखते हुए 200 फूड पार्क स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 67 विकासखंडों में फूड पार्क की स्थापना हेतु भूमि का चिन्हांकन किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ के उद्योगों का उत्पादन बढ़े तथा राज्य में उत्पादित सामानों को राज्य में बड़ा बाजार मिले, इसके लिए हम जैम पोर्टल के स्थान पर अपना ‘छत्तीसगढ़ ई प्रोक्योरमेंट सिस्टम पोर्टल’ विकसित कर रहे हैं।

पहुंच विहीन गांवों में सड़क सम्पर्क के लिए ‘जवाहर सेतु योजना’

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के पहुंच विहीन गांवों में सड़क सम्पर्क स्थापित करने के लिए ‘जवाहर सेतु योजना’ के अंतर्गत 100 पुलों के निर्माण की कार्य योजना बनाई गई है। विगत 6 माह में 1547 किलोमीटर सड़कें, 41 बड़े पुलों का निर्माण पूरा किया गया है तथा 110 पुलों का कार्य प्रगति पर है। नक्सल प्रभावित अंचल में 261 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के पिछड़े हुए काम को गति देकर इसे ग्रामीण अधोसंरचना का आधार बनाने में हमारी सरकार ने बीते 6 माह में बड़ी उपलब्धि अर्जित की है और देश में अव्वल आए हैं।

‘पौनी-पसारी’ बाजार प्रणाली को जीवित करने का निर्णय

मुख्यमंत्री ने कहा कि विलुप्त होती सांस्कृतिक विरासत ‘पौनी-पसारी’ बाजार प्रणाली को जीवित करने के लिए सभी नगरीय निकायों में ऐसे 255 बाजारों का विकास किया जाएगा। गुमाश्ता लायसेंस के हर साल नवीनीकरण से छूट दी गई है, जिसके कारण कारोबारियों को काफी राहत मिली है। जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाने से लगभग 60 हजार रजिस्ट्री हुई है और इससे कई परिवारों की खुशियां लौटी हैं। जमीन की कलेक्टर गाइड लाइन दर में 30 प्रतिशत की कमी करने से कई परिवारों को सपने साकार होने लगे हैं। मकान व फ्लैट की रजिस्ट्री शुल्क 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत की गई है। नामांतरण, डायवर्सन, बटांकन का सरलीकरण किया गया है।

‘मोर जमीन-मोर मकान’ में 1.60 लाख परिवारों को सहायता

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘मोर जमीन-मोर मकान’ के अंतर्गत 1 लाख 60 हजार परिवारों को आवास निर्माण सहायता दी गई है। ‘मोर आवास-मोर चिन्हारी’ योजना के अंतर्गत तालाब पार, डूबान क्षेत्र व अन्य योजनाओं से प्रभावित परिवारों के लिए नगर निगम क्षेत्रों में बहुमंजिला फ्लैट्स के निर्माण में तेजी लाई गई है, जिससे हितग्राही को मात्र 75 हजार रू. में घर मिलेंगे। नगरीय निकायों को जनोपयोगी विकास कार्यों के लिए 300 करोड़ रूपए जारी किए गए हैं।

‘डीएमएफ’ का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण, रोजगार, सुपोषण हेतु

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई और छत्तीसगढ़ महतारी की कोख के संसाधनों का दुरूपयोग कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब ‘डीएमएफ’ की शासी परिषद में जिला कलेक्टर के स्थान पर प्रभारी मंत्री अध्यक्ष तथा विधायकगण सदस्य होंगे। इस राशि का उपयोग खनन प्रभावित अंचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण, रोजगार, जीवनस्तर उन्नयन, सुपोषण आदि जनोपयोगी कार्यों के लिए होगा तथा व्यय होने वाली राशि का सामाजिक अंकेक्षण किया जाएगा। सरकार नक्सल समस्या को दशकों से देख-समझ रहे हर वर्ग के लोगों से बातचीत कर हल करेगी। इसकी शुरुआत हमने बस्तर से की गई है। यह सिलसिला आगे भी जारी रखेंगे। हमारी ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ की त्रिवेणी के कारण नक्सलवादी गतिविधियों पर अंकुश लगा है।

अपनी संस्कृति को सहेजने की पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी परम्पराओं का सम्मान करते हुए और संस्कृति का विस्तार करते हुए ही हम अपने लक्ष्यों तक पहुंच सकते हैं। इसके लिए हमने ‘राजिम माघी पुन्नी मेला’ का नाम देकर जो शुरूआत की थी उसे नए सार्वजनिक अवकाश घोषित कर विस्तार दिया है। हरेली, तीजा, माता कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस एवं छठ पूजा के नए सार्वजनिक अवकाश से प्रदेश में अभूतपूर्व उत्साह जागा है।

‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का संकल्प

हमारा लक्ष्य है कि जीवन स्तर उन्नयन के साथ प्रति व्यक्ति आय बढ़े और गरीबी दर में निर्णायक कमी आए। मुझे विश्वास है कि ‘नवा छत्तीसगढ़’ के निर्माण की नई सोच और नए कार्यों से आप सबको अपने पुरखों के सपने पूरे होने और छत्तीसगढ़ राज्य के गठन की सार्थकता का बोध हो रहा होगा। ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का संकल्प हम सब मिलकर पूरा करेंगे।

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