रायपुर। छत्तीसगढ़ के महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू ने छत्तीसगढ़ सरकार की कार्यप्रणाली पर ऊंगली उठाते हुए कहा कि धान खरीदी करने में भूपेश सरकार विफल हो रही है और इसका ठीकरा केंद्र सरकार के सिर पर फोड़ने का प्रयास कर रही है। नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी का नारा देकर सरकार छत्तीसगढ़ की जनता को सब्जबाग तो दिखाई। अब जनता से वादा निभाने की बारी आई है तो घोषणानुरूप 2500 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर धान नहीं खरीदकर इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते कई वर्षों से धान खरीदी एक नवंबर अथवा 15 नवंबर से प्रारंभ होती रही है। इस वजह से किसानों ने कोठार (खलिहान) और कोठी (भंडारागार) नहीं बनाया। अब किसानों के पास धान को भंडारित करने की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। किसान पूछ रहे हैं कि नरवा-गरवा-घुरवा-बारी का नारा तो अपनी जगह है। अब कोठार कहां हे संगवारी? जहां धान को संग्रहित कर सकें। कर्ज तले दबे किसान अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी मंडी में बेचकर दवा, खाद और बीज का कर्ज चुकाते हैं। वहीं अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीदते हैं। लेकिन, छत्तीसगढ़ सरकार एक दिसंबर से धान खरीदने का फरमान जारी कर अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है।
सांसद श्री साहू ने कहा कि दलगत राजनीति करते हुए भाजपा के निर्वाचित सांसदों को नीचा दिखाने में मुख्यमंत्री बघेल ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है। कोरबा और जगदलपुर के सांसद को छोड़कर शेष सांसदों को DMF कमेटी में सदस्य तक नहीं रखा है। तब वे किस मुंह से सांसदों की सर्वदलीय बैठक आहूत करने का दिखावा करते हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को विवादास्पद स्थिति में लाकर खड़ी कर दिया है। मामला कोर्ट में चले जाने से अब न तो पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है और न ही 27 प्रतिशत आरक्षण का। इस तरह से प्रदेश की जनता के साथ छल हो रहा है।