रायपुर। राज्य में गोधन न्याय योजना की लोकप्रियता और इससे ग्रामीणों का जुड़ाव तेजी से बढ़ता जा रहा है। गौठानों में इस योजना के तहत 2 रूपए किलो में गोबर की खरीदी से गांवों में रोजगार और आय का बेहतर अवसर सुलभ हुआ है। गोबर बेचने से हो रहे लाभ के चलते ग्रामीण अंचल में पशुपालन को बढ़ावा मिलने लगा है। पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक नया वातावरण तैयार हुआ है। गौठानों में गोबर खरीदी से वर्तमान में 3 लाख 36 हजार से अधिक ग्रामीण पशुपालक किसान सीधे लाभान्वित हो रहे हैं। बीते एक साल में इस योजना के अंतर्गत लाभान्वित पशुपालक ग्रामीणों की संख्या 2.11 लाख से बढ़कर 3.36 लाख से अधिक हो गई है। लाभान्वितों की संख्या में यह वृद्धि 59 प्रतिशत है।
राज्य में सुराजी गांव योजना के गरूवा कार्यक्रम के अंतर्गत गोधन के संरक्षण और संर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। राज्य में राज्य में अब तक 10,690गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 10,001 गौठान निर्मित एवं 551 गौठान निर्माणाधीन है। अभी 138 गौठानों का निर्माण कार्य शुरू कराया जाना है। निर्मित गौठानों में छत्तीसगढ़ सरकार की मंशानुरूप गौठान समितियों द्वारा पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क प्रबंध है।
गौरतलब है कि राज्य में गोधन न्याय योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 हरेली पर्व से हुई थी। इस योजना के तहत गौठानों में 15 अप्रैल 2023 तक 112.34 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है, जिसके एवज में गोबर विक्रेता ग्रामीण पशुपालकों को 222.09 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। 20 अप्रैल को गोबर विक्रेताओं को 2.50 करोड़ रुपये का भुगतान आन लाइन उनके खाते में किया जाएगा।