रायपुर। गोधन न्याय योजना के तहत राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से महिला समूहों द्वारा अब तक कुल 30 लाख 56 हजार 184 क्विंटल कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें 24 लाख 89 हजार 229 किवंटल वर्मी कम्पोस्ट, 5 लाख 48 हजार 31 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद शामिल है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है।
गौठानों में उत्पादित कम्पोस्ट में से 18 लाख 89 हजार 488 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, 3 लाख 94 हजार 544 क्विंटल सुपर कम्पोस्टर तथा 3276 क्विंटल सुपर प्लस कम्पोस्ट का विक्रय हो चुका है। राज्य के 6581 गौठानों में फिलहाल 6 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार है, जिसके विक्रय के लिए पैकेजिंग की जा रही है।
गौठानों में गोबर से खाद के अलावा महिला समूह गो-काष्ठ, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 122 करोड़ 52 लाख रूपए की आय हो चुकी है। राज्य में गौठानों से 14,150 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 1,66,928 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत एवं प्राकृतिक पेंट सहित अन्य सामग्री का भी उत्पादन किया जा रहा है।