अपने दामाद पर मेहरबान छत्तीसगढ़ के CM श्री बघेल, 125 करोड़ रुपये में दिवालिया मेडिकल कॉलेज खरीदने का किया ऐलान

न्यूज़ डेस्क। कांग्रेस पार्टी के एक और दामाद इन दिनों खासे चर्चा हैं। ये हैं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दामाम। भूपेश बघेल ने अपने दामाम प्रेम में सारे नियम कानूनों को दरकिनार कर उसके दिवालिया हो चुके विवादित चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण का फैसला लिया है। विपक्ष ही नहीं सरकार के स्वास्थ्य मंत्री भी इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन सीएम भूपेश बघेल को कोई फर्क नहीं है और उन्होंने कानून बना कर इस मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण की तैयारी शुरू कर दी है।

ज्ञात हो कि दुर्ग में स्थित चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का मालिकाना हक जिस परिवार के पास है, उसी परिवार में भूपेश बघेल की बेटी की शादी हुई है। इस कॉलेज का स्वामित्व चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल (CCMH) के पास है, जो एक ग़ैर-सूचीबद्ध कंपनी है। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन मार्च 1997 में हुआ था। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन मार्च 1997 में हुआ था। दुर्ग से 5 बार सांसद रहे कॉन्ग्रेस नेता चंदूलाल चंद्राकर का निधन 1995 में 74 वर्ष की अवस्था में हुआ था। वो केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन हेतु आंदोलन चलाने के लिए भी उन्हें जाना जाता है। CCMH के निदेशक मंगल प्रसाद चंद्राकर और चंद्राकर समुदाय की मांग के बाद इस अस्पताल को विकसित किया गया था। मंगल प्रसाद चंद्राकर इस अस्पताल के 5% शेयर्स के मालिक हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ड्राफ्ट किए गए बिल में इस अस्पातल के अधिग्रहण की योजना है, क्योंकि ये वित्तीय रूप से कमजोर हो चुका है। बिल में बताया गया है कि जनहित में इस मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण आवश्यक है। छत्तीसगढ़ सरकार कॉलेज की चल-अचल संपत्तियों का अधिग्रहण करेगी और बदले में रुपये CCMH को देगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस ड्राफ्ट को तैयार कर रहे अधिकारी भी असहज हैं, क्योंकि सीएम भूपेश बघेल की बेटी दिव्या की शादी मंगल प्रसाद चंद्राकर के भतीजे क्षितिज चंद्राकर से हुई है। भूपेश बघेल के दामाद क्षितिज चंद्राकर ‘ऑल इंडिया प्रोफेसनल कॉन्ग्रेस’ की छत्तीसगढ़ यूनिट के अध्यक्ष भी हैं।

सीएम भूपेश बघेल ने इस मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण करने की घोषणा फरवरी में ही सोशल मीडिया पर कर दी थी। CCMH पर फ़िलहाल 125 करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा अनसिक्योर्ड है। अप्रैल 2018 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) ने इस कॉलेज को धोखाधड़ी में लिप्त पाया था। 2017 के बाद से इस कॉलेज के पास कोई मान्यता ही नहीं है। अधिकारीगण कह रहे हैं कि बिल के विधानसभा में आने से पहले वो कुछ नहीं कह सकते।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इसे लेकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल अपने दामाद का निजी महाविद्यालय बचाने के लिए उसे सरकारी कोष से खरीदने की कोशिश में हैं। श्री सिंधिया ने आरोप लगाया कि प्रदेश की राशि का उपयोग अपने दामाद के लिए किया जा रहा है, वो भी एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जिस पर धोखाधड़ी के आरोप MCI द्वारा लगाए गए थे।

मुख्यमंत्री बघेल ने इसे छात्रों का भविष्य बचाने वाला फैसला करार देते हुए आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने दावा किया कि इससे प्रदेश में नया मेडिकल कॉलेज बनाने का खर्च बचेगा और हर साल 150 नए डॉक्टर मिलेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हम सार्वजनिक क्षेत्र के पक्षधर लोग हैं और रहेंगे, साथ ही ये भी दावा किया कि हम ‘उनकी’ तरह जनता की संपत्ति बेच नहीं रहे हैं।

इधर सोशल मीडिया पर भी बड़ी संख्या में लोग सीएम भूपेश बघेल के दामाद प्रेम और जनता के पैसे की बर्बादी को लेकर लानत-मलानत कर रहे हैं।

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