श्रम मंत्री डॉ. शिव डहरिया के प्रयासों से महाराष्ट्र के बाल संप्रेक्षण गृह में बंद दो बच्चे किए गए माँ-बाप के सुपुर्द

श्रम मंत्री डॉ. शिव डहरिया के प्रयासों से महाराष्ट्र के बाल संप्रेक्षण गृह में बंद दो बच्चे किए गए माँ-बाप के सुपुर्द

रायपुर। नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के प्रयासों से महाराष्ट्र के पुणे में 7 माह से बाल संप्रेक्षण गृह में बंद छत्तीसगढ़ के दो बच्चों को आज माँ-बाप के सुपुर्द किया गया। सात माह से अपनों बच्चों से दूर रहे माँ-बाप इस अवसर पर अत्यंत भावुक हो गए और बच्चों से मिलते ही आँखों से आंसू छलक पड़े।

परिजनों ने बताया कि साक्षर नहीं होने की वजह से वे पुणे-महाराष्ट्र सरकार से सीधे सम्पर्क नहीं कर पा रहे थे। बालक मंजनू और शालिनी के माता-पिता ने अपने बच्चों को वापस छत्तीसगढ़ लाने और सुपुर्द करने के लिए श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया से निवेदन किया था। डॉ. डहरिया ने बच्चों के प्रति परिजनों के भावनात्मक लगाव को महसूस करते हुए तत्काल महिला एवं बाल विकास विभाग की सहयोग से बच्चों को छत्तीसगढ़ लाने की पहल की। डॉ. डहरिया की यह पहल सार्थक हुई और आज बच्चों के माता-पिता से मिलते ही सारे दुःख बिसर गए।

उल्लेखनीय है कि बालक मंजनू नट और बालिका शालिनी ढीढी को नेशनल हाईवे में स्ट्रीट-शो करते हुए डेक्कन (महाराष्ट्र) पुलिस द्वारा पकड़ा गया था और उन्हें पुणे महाराष्ट्र के बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया था। इन बच्चों के माता-पिता की आग्रह पर डॉ. डहरिया ने महाराष्ट्र के अध्यक्ष बाल कल्याण समिति और जिला बाल संरक्षण अधिकारी को पत्र लिखकर बाल संप्रेक्षण गृह में बंद बच्चों को गृह जिले में पुनर्वासित करने का आग्रह किया गया था। उन्होंने पत्र के जरिए कहा था कि इन बच्चों के बेहतर शिक्षा एवं उज्जवल भविष्य के लिए इन्हें इनके अभिभावकों के संरक्षण में इनके गृह आवास में रखा जाना चाहिए। अभिभावकों ने शपथ पत्र में इन बच्चों से भविष्य में नाट्य कार्यक्रम (स्ट्रीट-शो) न कराने की स्वीकृति दी हैं। पुणे-महाराष्ट्र के बाल संप्रेक्षण गृह में बंद बालिका शालिनी ढीढी उम्र 8 वर्ष पिता जीवन लाल ढीढी ग्राम पोस्ट रींवा थाना मंदिरहसौद जिला रायपुर और बालक मंजनू नट उम्र 11 वर्ष पिता जीवराखन नट ग्राम बारगांव पोस्ट पामगढ़ थाना व जिला जांजगीर-चांपा के निवासी ने बच्चों को छत्तीसगढ़ लाने और उन्हें सौंपने का आग्रह मंत्री डॉ. शिव डहरिया से किया था।

* बच्चों से मिलकर परिजन हुए भावुक, आँखों से छलके आँसू

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