उन्नत किस्म के जिमीकांदा का उत्पादन किसानों के लिए फायदेमंद

उन्नत किस्म के जिमीकांदा का उत्पादन किसानों के लिए फायदेमंद

राजिम। जे.पी.फाउंडेशन के द्वारा छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय सब्जी जिमीकांदा जिसे कई जगह सूरन भी कहा जाता है के उत्पादन का अंचल में पहला, अनूठा व सफल प्रयास किया गया है। उक्त जानकारी देते हुए जे.पी.फाउंडेशन के संस्थापक राकेश तिवारी ने बताया कि पहली फसल समीपस्थ वनांचल गांव बोरिद में तैयार हो गई है।

मां बम्लेश्वरी महिला स्व सहायता समूह राजनांदगांव की प्रमुख पद्मश्री फु लबासन यादव से प्रेरित होकर इस अंचल में उन्नत किस्म के जिमीकांदा के उत्पादन का प्रयास किया है। उन्होंने यह भी बताया कि जिमीकांदा की फसल लगभग आठ माह में पूरी तरह तैयार हो जाती है। घर की बाड़ी, खेत या खलिहान (ब्यारा) में आधे फ ीट के गड्ढों की कतार में इसके बीजों का रोपण किया जा सकता है, जो कि आम मवेशियों और बंदरों की चराई से भी बिल्कुल सुरक्षित है, इसकी बुआई का उपयुक्त समय जून के द्वितीय पखवाड़े से अगस्त के प्रथम पखवाड़े को माना जाता है।

पहली बार में ही उन्नत किस्म के जिमीकांदा का प्रचुर व पर्याप्त मात्रा में उत्पादन हुआ है। जिसके संबंध में जे.पी.फाउंडेशन अंचल के किसानों में जागरूकता उत्पन्न करने और खेती करने के तरीके, देख-रेख करने, बीज की उपलब्धता और उत्पादन की बिक्री आदि के संबंध जानकारी व मार्गदर्शन हेतु कटिबद्ध है। श्री तिवारी ने बताया कि उन्नत किस्म के जिमीकांदा का उत्पादन बहुत कम लागत व देख-रेख के कारण किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।

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