वॉशिंगटन। अमेरिका ने आतंकवादी संगठन अल-कायदा के मुखिया अयमान अल-जवाहिरी का खात्मा कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे ‘इंसाफ’ बताया है। खास बात है कि इसी तरह अमेरिका ने 9/11 के जिम्मेदार आतंकी ओसामा बिन लादेन को भी ढेर कर दिया था। हालांकि, इस बार आतंकी के सफाया तो चर्चा में आया ही, लेकिन वह हथियार भी चर्चा में रहा, जिसकी मदद से अमेरिका ने ऑपरेशन को अंजाम दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में मैकाब्रे हैलफायर R9X के इस्तेमाल का जिक्र सामने आ रहा है। माना जाता है कि यह मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदते हुए निकल जाती है, लेकिन इसमें विस्फोट नहीं होता। हालांकि, अमेरिकी एजेंसियों पेंटागन या सीआईए ने सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकारा नहीं है।
खबर है कि R9X पहली बार मार्च 2017 में चर्चा में आई थी, जब अल कायदा के एक और नेता अबु अल-खैर अल-मासरी का ड्रोन हमले में खात्मा कर दिया था। हमले के वक्त वह सीरिया में कार में सफर कर रहा था। अब वाहन की तस्वीरों से पता चलता है कि छत पर छेद हुआ था और आंतरिक तौर पर भी कार को नुकसान हुआ था, लेकिन कार का आगे औऱ पीछे का हिस्सा पूरी तरह बरकरार था।
तब तक हैलफायर मिसाइल को तेज धमाकों और तबाही के लिए जाना जाता था, जिसमें दोनों तरफ नुकसान की संभावनाएं होती थी। 2017 तक हुई कुछ घटनाओं में इसी तरह के नतीजे देखे गए थे।
खास बात है कि जब इस हथियार की जानकारी सामने आई, तो इसे ‘फ्लाइंग जिन्सु’ कहा गया। दरअसल, इसकी तुलना 1980 के समय टीवी विज्ञापन में नजर आने वाले किचन के चाकू से की गई थी, जो एल्युमिनियम कैन को काट सकता था। इसे निंजा बॉम्ब भी कहा जाता है।
जवाहिरी के मामले में जानकारी सामने आई है कि उसपर दो स्ट्राइक की गई थी, लेकिन तस्वीरों में धमाके के निशान नजर नहीं आए। वहीं अमेरिकी अधिकारियों ने भी कहा है कि हमले में किसी अन्य को नुकसान नहीं हुआ है। एक अधिकारी ने पत्रकारों को जानकारी दी हैकि 31 जुलाई की सुबह जवाहिरी काबुल आवास पर बालकनी में था और अमेरिकी ड्रोन ने दो हैलफायर मिसाइल लॉन्च की थी।