नई दिली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर से मोदी सरकार को किसानों के मुद्दे पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने एक इंफोग्राफिक साझा करके सोशल मीडिया पर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अपने सूट-बूट वाले दोस्तों का 875000 करोड़ कर्ज माफ करने वाली मोदी सरकार अन्नदाताओं की पूंजी साफ करने में लगी है। राहुल गांधी ने जो इंफोग्राफिक साझा किया है उसके अनुसार उद्योगपतियों के लोन को रिटेन ऑफ किया गया उसके आंकड़े साझा किए गए हैं।
वर्ष 2014 से 2019 के बीच के आंकड़ों को राहुल गांधी ने इंफोग्राफिक जरिए साझा किया है। इन आंकड़ों के अनुसार 2014 में उद्योगपतियों के 60, 000 करोड़ रुपए के लोन को रिटेन ऑफ किया गया था, जोकि 2015 में बढ़ककर 725000 करोड़ रुपए हो गया। यही नहीं 2019 में सर्वाधिक 2372000 करोड़ रुपए का लोन रिटेन ऑफ किया गया है। बता दें कि पिछले काफी दिनों से किसान मोदी सरकार के तीन नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं और किसान तीनों ही कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार इन कानूनों में संशोधन की बात कह रही है ।
अपने सूट-बूट वाले दोस्तों का 875000 करोड़ क़र्ज़ माफ़ करने वाली मोदी सरकार अन्नदाताओं की पूंजी साफ़ करने में लगी है। pic.twitter.com/p6qL0bifQW
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 18, 2021
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी किसान आंदोलन का शुरुआत से समर्थन कर रहे हैं। वह आंदोलन कर रहे किसानों से मुलाकात करके उनकी बात को आगे बढ़ा रहे हैं और मोदी सरकार से किसानों की मांग को स्वीकार करने की अपील कर रहे हैं। इससे पहले राहुल गांधी ने ट्वीट करके किसानों का समर्थन करने को कहा था। राहुल ने कहा, देश के अन्नदाता अपने अधिकार के लिए अहंकारी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ सत्याग्रह कर रहे हैं। आज पूरा भारत किसानों पर अत्याचार व पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों के विरुद्ध आवाज़ बुलंद कर रहा है। आप भी जुड़िये और इस सत्याग्रह का हिस्सा बनिये।
गौरतलब है कि किसान नेताओं की सरकार से 9 राउंड की बैठक हो चुकी है लेकिन बावजूद इसके सरकार और किसानों के बीच गतिरोध खत्म नहीं हो सका है। किसान एमएसपी पर नए कानून और मौजूदा तीनों ही कृषि कानून को खत्म किए जाने की मांग पर अडे़ हैं तो सरकार नए कानून में संशोधन की बात कह रही है और कानूनों को वापस लेने के कतई मूड में नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि अधिकतर किसान और विशेषज्ञ कानूनों के समर्थन में हैं।