Army Day: राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई, सैनिकों को किया नमन, जानें आखिर 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है आर्मी डे

नई दिल्ली। भारत में 15 जनवरी को हर साल सेना दिवस यानी आर्मी डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भारतीय थल सेना आर्मी डे के रूप में मनाती है। भारतीय सेना इस साल अपना 73वां स्थापना दिवस मना रही है। हिंदुस्तान के इतिहास में दिन काफी अहम माना जाता है, क्योंकि इसी दिन पहली बार कोई भारतीय इंडियन आर्मी का कमांडर इन चीफ बना था। इससे पहले अंग्रेज ही इस पद पर थे। 15 जनवरी 1949 को लेफ्टिनेंट जनरल केएम करिअप्पा पहले भारतीय के तौर पर कमांडर इन चीफ बने थे। इस खास मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”सेना दिवस पर, भारतीय सेना के बहादुर पुरुषों और महिलाओं को शुभकामनाएं। इस खास दिन पर हम उन बहादुरों को याद करते हैं जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। भारत साहसी और प्रतिबद्ध सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए हमेशा आभारी रहेगा।”

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ”मां भारती की रक्षा में पल-पल मुस्तैद देश के पराक्रमी सैनिकों और उनके परिजनों को सेना दिवस की हार्दिक बधाई। हमारी सेना सशक्त, साहसी और संकल्पबद्ध है। हमारी सेना ने हमेशा देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। समस्त देशवासियों की ओर से भारतीय सेना को मेरा नमन।”

आर्मी डे पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा, ”हम उन वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं, आभार व्यक्त करते हैं, जिनकी कर्तव्य के प्रति वीरता और सर्वोच्च बलिदान ने हमें खुद को राष्ट्र के प्रति समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है।”

15 जनवरी को आर्मी डे इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 15 जनवरी 1949 भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हो गया था। जिसके बाद पहली बार लेफ्टिनेंट जनरल केएम करिअप्पा पहले भारतीय के तौर पर कमांडर इन चीफ बने थे। करिअप्पा आजाद भारत के पहले सेना प्रमुख थे। केएम करिअप्पा को ”किप्पर” नाम से भी बुलाया जाता है।

गौरतलब है कि 15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने के बाद ब्रिटिश इंडियन आर्मी दो हिस्से में बंट गई थी। एक पाकिस्तान आर्मी और दूसरी इंडियन आर्मी। लेकिन इसके बाद तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने सर फ्रांसिस को भारत में रुकने के लिए ताकि आने वाले सालों में इंडियन आर्मी बेहतर हो सके। सर फ्रांसिस को ही भारतीय सेना का नया कमांडिंग चीफ चुनने की जिम्मेदारी दी गई थी।

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