नई दिल्ली। भारत बायोटेक की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ ने पहले फेज के क्लीनिकल ट्रायल सफल हुआ है। ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन का वालंटियर पर कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है। अंतरिम विश्लेषण के हिसाब से वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है।
वैक्सीन का पहला चरण 375 लोगों पर किया गया था। केवल एक व्यक्ति में साइड इफेक्ट हुए लेकिन ये साइड इफेक्ट वैक्सीन की वजह से नहीं पाए गए। उसे 5 दिन बाद कोरोना संक्रमण हो गया। हालांकि 15 अगस्त को उसे अस्पताल में भर्ती किया गया और 22 अगस्त को उसे छुट्टी मिल गई। इस घटना को वैक्सीन से जोड़ कर नहीं देखा जा रहा है।
भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल सितंबर महीने में ही समाप्त हो गया था, जिसके नतीजे अब सार्वजनिक किए गए हैं। इस पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल के अंतरिम नतीजों से पता चला है कि सभी आयुवर्ग के समूहों पर कोई गंभीर या प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
वैक्सीन ने एंटीबॉडी तैयार करने का काम किया
पोर्टल ‘मेडआरएक्सआईवी’ पर उपलब्ध कराए गए नतीजों के मुताबिक टीका ने एंटीबॉडी तैयार करने का काम किया। विषय के विशेषज्ञों द्वारा औपचारिक रूप से अनुसंधान रिपोर्ट का मूल्यांकन करने के पहले इसे सार्वजनिक तौर पर ‘मेडआरएक्सआईवी’ पोर्टल पर डाला गया।
निष्कर्ष के मुताबिक गंभीर असर की एक घटना सामने आयी, जिसका टीकाकरण से कोई जुड़ाव नहीं पाया गया। दस्तावेज में कहा गया है कि बीबीवी152 को दो डिग्री सेल्सियस से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर रखा गया. राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसी तापमान पर अलग-अलग टीके को रखा जाता है.
कोवैक्सीन (बीबीवी152) की सुरक्षा और प्रभाव के आकलन के लिए पहले चरण का क्लीनिकल परीक्षण किया गया। ‘‘निष्क्रिय सार्स कोव-2 टीका बीबीवी152 का क्लीनिकल परीक्षण और सुरक्षा (चरण एक)’’ के मुताबिक पहले टीकाकरण के बाद कुछ प्रतिभागियों में हल्के या मध्यम किस्म का असर दिखा और तुरंत यह ठीक भी हो गया। इसके लिए किसी तरह की दवा देने की जरूरत नहीं पड़ी।
दूसरी खुराक के बाद भी यही रुझान देखने को मिला। कोवैक्सीन के रिसर्चर इस आकलन को लैंसेट जर्नल में भी प्रकाशन के लिए भेजने की तैयारी कर रहे हैं।