नई दिल्ली। कई देशों में कोरोना वायरस के वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अगले 6 से 8 महीनों में कोरोना टीकों की 600 मिलियन खुराक वितरित करने के लिए मशिनरी को तैनात करेगा। सरकार ने कोल्ड स्टोरेज की सुविधा तैयार की है जो 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान मेंटेन किए रहेगा। कोरोना वैक्सीन प्रशासन के विशेषज्ञों के समूह के प्रमुख वीके पॉल ने इस बारे में पीएम मोदी को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि टीके की तैयारी के रेस में 4 कंपनिया दौड़ में हैं।
एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि “सीरम, भारत, जाइडस और स्पुतनिक सहित चार टीके हैं, जिन्हें सामान्य कोल्ड चेन की आवश्यकता है। मुझे इन टीकों के लिए कोई समस्या नहीं है।” दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले से ही बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही है और एस्ट्राजेनेका के कोविशिल्ड को स्टॉक कर रही है, जबकि भारत बायोटेक और कैडिला खुद की वैक्सीन को विकसित कर रहे हैं।
पिछले महीने भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी हेटेरो ने रूस के स्पुतनिक वी COVID-19 वैक्सीन की 100 मिलियन से अधिक खुराक बनाने का सौदा किया था। हालांकि सरकार को अभी तक मूल्य निर्धारण पर औपचारिक बातचीत करनी थी। वर्तमान में भारतीय नियामक आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए तीन टीकों पर विचार कर रहे हैं, जिनमें Pfizer Inc, AstraZeneca और Bharat Biotech शामिल हैं। हालांकि फाइजर के टीके को स्टोरेज के लिए माइनस 70 डिग्री सेल्सियस या उससे कम तापमान की आवश्यकता है। संभवतः भारत में इसके उपयोग को सीमित करेगा, क्योंकि भारत में इस तरह के बुनियादी ढांचे का अभाव है।
पॉल ने कहा माइनस 70 डिग्री सेल्सियस की क्षमता बनानी होगी और हम ऐसा करेंगे। पॉल ने कहा कि सरकार भी मॉडर्ना के साथ बातचीत कर रही है, जिसमें अल्ट्रा-कोल्ड स्टोरेज की भी आवश्यकता है। पॉल ने कहा कि भारत अगले साल की दूसरी छमाही तक फाइजर या मॉडर्ना से आपूर्ति की उम्मीद नहीं करता है।