अब भोजन की तलाश में नहीं भटकेंगे वन्यजीव, वन क्षेत्रों में जापानी सीड बॉल पद्धति से फलदार एवं सब्जी बीजों का छिड़काव

अब भोजन की तलाश में नहीं भटकेंगे वन्यजीव, वन क्षेत्रों में जापानी सीड बॉल पद्धति से फलदार एवं सब्जी बीजों का छिड़काव

रायपुर। वनाच्छादित छत्तीसगढ़ राज्य में वन्य जीवों को भोजन की तलाश में भटकना न पड़े इसलिए वन विभाग द्वारा जापान में प्राचीनकाल से प्रचलित और दुनिया भर में बीज बुवाई के लिए लोकप्रिय सीड बॉल पद्धति को इस्तेमाल में लाया जा रहा है। प्रदेश के जंगलों में वन विभाग द्वारा 19 लाख 35 हजार 500 सीड बॉल का छिड़काव किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने वनों में पशु-पक्षियों को भोजन उपलब्ध कराने फलदार एवं सब्जी बीज के छिड़काव के निर्देश दिए थे। सीड बॉल बनाने के लिए उपजाऊ मिट्टी, गोबर खाद एवं वर्मी कंपोष्ट को निश्चित अनुपात में मिलाकर आंटे जैसा गूथ कर गोला बनाकर उसमें फलदार एवं सब्जियों का बीज डाला जाता है। फलदार बीजों आम, कटहल, जामुन, बेर, बेल एवं करौदा तथा सब्जी बीजों लौकी, बरबट्टी, भिंडी और बैगन बीजों का छिड़काव किया गया है। वन विभाग द्वारा वन्यजीवों के प्राकृतिक रहवास में भोजन व्यवस्था सुनिश्चित करने 11 जुलाई को बीज बुवाई महापर्व मनाया गया,जिसमे लगभग 2 लाख लोगो ने हिस्सा लिया।

वनांचल क्षेत्रो में बीज बुवाई महापर्व से दोहरा लाभ मिलेगा। वनों में भोजन उपलब्ध होने से जहां एक ओर हिंसक प्राणियों से होने वाली जनहानि के प्रकरणों में कमी आएगी। भोजन उपलब्ध होने से वन्य प्राणी आबादी क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करेंगे। वहीं वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों को जैविक फल और सब्जी भी मिलेगी, इससे पोषण स्तर में वृद्धि होगी। वनों में बड़ी मात्रा में जैविक फलों और सब्जियों का उत्पादन भी होगा।वन क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों को जैविक सब्जियों की बिक्री से अतिरिक्त आमदनी भी मिलेगी।

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