रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर की प्राचीन जनसंसद मुरिया दरबार को प्रदर्शित करने आज नई दिल्ली रवाना हो रही बालिकाओं की टीम से चर्चा की। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बालिकाओं की टीम से चर्चा में कहा कि हम सबके लिए यह बड़े सौभाग्य का विषय है कि गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ की झांकी राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ में प्रदर्शित की जा रही है। छत्तीसगढ़ से इस बार मुरिया दरबार पर केंद्रित झांकी के लिए आप सभी दिल्ली जा रहे हैं। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के कर्तव्यपथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी , "बस्तर की आदिम जनसंसद : मुरिया दरबार" को प्रदर्शित करने नई दिल्ली रवाना हो रही बालिकाओं को मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने शुभकामनाएं देकर विदा किया। यह झांकी छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित… pic.twitter.com/Mhkhg3OA8o
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) January 13, 2024
श्री साय को जब उनके प्रस्थान की सूचना अधिकारियों द्वारा दी गई तो उन्होंने तत्काल उन बच्चियों से बात करवाने को कहा और दिल्ली के लिए अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए दुर्ग रेलवे स्टेशन पे मौजूद इन बालिकाओं से वीडियो कॉल के माध्यम से बातचीत की। श्री साय ने उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। उन्होंने बालिकाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की बेटियों ने हमेशा प्रदेश का नाम ऊंचा किया आज एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन का मौका मिला है।
दिल्ली के कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक परेड में शामिल होगी छत्तीसगढ़ की झांकी।
‘बस्तर की आदिम जनसंसद : मुरिया दरबार’ विषय पर आधारित झांकी में शामिल 16 बालिकाओं का दल आज नई दिल्ली रवाना।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रतिभागी बालिकाओं से वीडियो कॉल पर बातचीत कर… pic.twitter.com/zlAlO9nrDZ— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) January 13, 2024
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड पर पूरे विश्व की दृष्टि हमारे भारतवर्ष पर रहती है। यह एक ऐसा अवसर होता है जहां देशभर की कला संस्कृति से अवगत होने का मौका मिलता है और इन सब बालिकाओं को छत्तीसगढ़ की महान और प्राचीन आदिवासी भारतीय संस्कृति को निरूपित करने का मौक़ा मिला है। श्री साय ने विश्वास जताया कि अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से हमारी बेटियां छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और पुरातन परंपराओं को देश ही नहीं बल्कि वैश्विक मानचित्र पर पहचान दिलाने में कामयाब होंगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर समूह की बालिकाओं से अनौपचारिक चर्चा करते हुए उनके नाम व उनकी भूमिका के बारे में भी पूछा। अपने बीच,अप्रत्याशित रूप से और यात्रा के ठीक पहले, मुख्यमंत्री को पाकर अत्यंत उत्साह में दिखीं और झांकी में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का निश्चय दिखाया। दुर्ग स्टेशन से दिल्ली रवाना हो रही बालिकाओं की टीम ने मुख्यमंत्री श्री साय से कहा कि वे सभी अपनी प्रस्तुति से छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाएंगे।
छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती "छत्तीसगढ़ की आदिम जन संसद : मुरिया दरबार की झांकी"
ऐतिहासिक गणतंत्र-दिवस परेड में कर्तव्यपथ पर शामिल होगी।#सुशासन_का_एक_महीना #सुशासन_का_सूर्योदय#मोदी_की_गारंटी#विष्णु_का_सुशासन pic.twitter.com/XNRmhKryyB— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) January 13, 2024
जनसंपर्क विभाग के आयुक्त मयंक श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ राज्य की झांकी भारत सरकार द्वारा प्रदत्त थीम भारत लोकतंत्र की जननी पर आधारित है। छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर की आदिम जनसंसद मुरिया दरबार जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती है, जो आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के बस्तर संभाग में जीवंत और प्रचलित है। देश के 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर की आदिम जनसंसद मुरिया दरबार को इस साल नई दिल्ली में होने वाली गणतंत्र-दिवस परेड के लिए चयनित किया गया है।
नई-दिल्ली स्थित कर्तव्यपथ पर होने वाली परेड के लिए 28 में से 16 राज्यों का चयन किया गया है। झांकी का अनूठा विषय और डिजाइन रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति को रिझाने में कामयाब रहा। इस झांकी में केंद्रीय विषय आदिम जन-संसद के अंतर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है।
गौरतलब है कि यह झांकी भारत में लोकतंत्र के जन्म और विकास की कहानी सप्रमाण प्रस्तुत करती है। झांकी का सामने का हिस्सा दर्शा रहा है कि बस्तर का जनजातीय समाज आदिकाल से लेकर अब तक स्त्री प्रधान रहा है। अपनी पारंपरिक वेशभूषा में एक स्त्री को अपनी बात रखते हुए दर्शाया गया है। मध्य भाग में बस्तर की आदिम जनसंसद को दर्शाया गया है, जिसे मुरिया दरबार के नाम से जाना जाता है।
मुरिया दरबार बस्तर दशहरे का एक सार्थक प्रजातांत्रिक और सर्वमान्य आकर्षण है। झांकी के पीछे के हिस्से में बस्तर की प्राचीन राजधानी बड़े डोंगर में स्थित लिमऊ राजा नाम के स्थान को दर्शाया गया है। लोककथाओं के मुताबिक आदि काल में जब कोई भी राजा नहीं था, तब जनजातीय समाज एक नीबू को पत्थर के प्राकृतिक सिंहासन पर रखकर आपस में ही निर्णय ले लिया करता था। झांकी की सजावट जनजातीय समाज की शिल्प-परंपरा के ‘‘बेलमेटल और टेराकोटा शिल्पों‘‘ से की गई है। बेलमेटल शिल्प का नंदी सामाजिक आत्मविश्वास और सांस्कृतिक सौंदर्य का प्रतीक है। टेराकोटा शिल्प का हाथी लोक की सत्ता का प्रतीक है।
LIVE :*गणतंत्र दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की झांकी मुरिया दरबार को प्रदर्शित करने नई दिल्ली रवाना हो रही बालिकाओं से चर्चा* https://t.co/6OD6BR31PE
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) January 13, 2024