राहुल गांधी ने अंपायर की मिसाल से स्टॉक मार्केट में जोखिम पर उठाए सवाल, ‘SEBI चीफ का अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं?’ नए खुलासे ने केंद्र को घेरा, उठाए कई सवाल

नई दिल्ली। अमेरिका की जानी-मानी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) ने शनिवार को कुछ रिपोर्टें जारी की हैं। इन रिपोर्ट को देख भारत की राजनीति बेहद गरमा गई हैं। क्योंकि रिसर्च कंपनी ने सीधा मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर अडानी ग्रुप के साथ मिले होने का दावा किया है। रिपोर्ट से एक बार फिर अडानी ग्रुप चर्चा का विषय बन गया है। इस बीच, रविवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर वीडियो मैसेज जारी कर इस मामले में कई सवाल पूछे हैं।

राहुल गांधी ने कहा- कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से संस्था की शुचिता के साथ ‘गंभीर समझौता’ हुआ है। उन्होंने पूछा कि क्या उच्चतम न्यायालय इस मामले पर फिर स्वत: संज्ञान लेगा। राहुल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व निभाने वाले प्रतिभूति नियामक सेबी की शुचिता, इसकी अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।

https://x.com/RahulGandhi/status/1822638113753317572

कांग्रेस नेता ने कहा, देशभर के ईमानदार निवेशकों के मन में सरकार के लिए कई सवाल हैं। सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब जाती है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडाणी?’

वहीं, बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच एवं उनके पति कहना है कि अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और अध्यक्ष का चरित्र हनन करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा अडाणी ग्रुप ने नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।

दरअसल, अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म ने शनिवार रात जारी अपनी रिपोर्ट में संदेह जताया है कि अडाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में पूंजी बाजार नियामक सेबी की अनिच्छा का कारण सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है।

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