इसरो ने रचा कामयाबी का नया इतिहास, भारत के रेडार इमेज‍िंग सैटलाइट के साथ 9 विदेशी उपग्रहों को किया सफलता पूर्वक लॉन्च

न्यूज़ डेस्क। कोरोना काल में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दुनिया में एक बार फिर अपनी तकनीक का लोहा मनवाया। इसरो ने दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से PSLV-C49 के जरिए 10 उपग्रहों को लॉन्च किया। इसमें भारत का अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS-01) और 9 विदेशी उपग्रह शामिल है।

इस लॉन्‍च में प्राइमरी सैटलाइट EOS01 एक रेडार इमेज‍िंग सैटलाइट (RISAT) है। यह अडवांस्‍ड रिसैट है जिसका सिंथैटिक अपरचर रेडार बादलों के पार भी देख सकेगा। इन सभी सैटेलाइट को न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ एक कॉमर्शियल एग्रीमेंट के तहत लॉन्च किया गया है। इस बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि सैटेलाइट ‘EOS-01’, अर्थ ऑब्जरवेशन रिसेट सैटेलाइट की एक एडवांस्ड सीरीज है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि EOS-01 अडवांस्ड अर्थ ऑब्जरवेशन उपग्रह है जिसका सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) दिन और रात की परवाह किए बिना बादलों को भेद कर भी हाई रेसोलुशन की तस्वीर लेने में सक्षम है। भारत की नई आंख अंतरिक्ष से सेना की निगरानी क्षमता को बढ़ावा देगी और सुरक्षा बलों को चीन के साथ LAC पर चल रहे टकराव के बीच सीमाओं पर नजर रखने में मदद करेगी।

इससे देश की आंतरिक सुरक्षा मजबूत होगी। वहीं समुद्री सीमा की निगरानी पुख्ता तौर पर सुनिश्चित हो सकेगी। यानि भारत की ये आकाशीय आंख खेती, वानिकी और भूगर्भ शास्‍त्र के अध्यन में भी कारगर साबित होगी।

9 विदेशी कमर्शियल सैटलाइट्स में लिथुआनिया का एक, लक्समबर्ग के चार और चार अमेरिकी सैटेलाइट शामिल हैं। सभी की कामयाब लॉन्चिंग से कोरोना काल में इसरो ने कामयाबी का नया इतिहास रच दिया। इसरो के 51वें मिशन की लॉन्‍चिंग के साथ संगठन 328 विदेशी सैटलाइट अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब रहा है।

ISRO चीफ के सिवन ने कहा, ”महामारी के दौरान टीम इसरो ने कोविड गाइडलाइन के मुताबिक काम किया, गुणवत्ता से समझौता किए बिना। सभी इसरो कर्मचारियों का इस समय गुणवत्तापूर्ण काम वास्तव में प्रशंसनीय है।” उन्होंने आगे कहा, ”इसरो के लिए यह मिशन बहुत खास और अलग है। स्पेस एक्टिविटी ‘वर्क फ्रॉम होम’ से नहीं हो सकती है। हर एक इजीनियर को लैब में मौजूद होना होता है। इस तरह के मिशन में सभी तकनीशियन और कर्मचारी को साथ काम करना होता है।”

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