धर्म डेस्क(Bns)। इस साल भी श्री कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) दो दिन मनाया जा रहा है। इस साल भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर, बुधवार को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट से शुरु होकर 7 सितंबर, गुरुवार को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में जन्माष्टमी का पर्व 6 और 7 सितंबर दोनों दिन मनाया जाएगा। हालांकि, श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी आज यानी 6 सितंबर को मनाई जा रही है।बाल गोपाल को प्रसन्न करने के लिए इस दिन किस समय और कैसे पूजा करें आइए जानते हैं इस खबर के माध्यम से..।
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— Dr. Sukanta Mishra (@SukantaPhdNou) September 4, 2023
वैष्णव जन सात सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे जबकि अधिकतर सामान्य गृहस्थ जनों ने छह सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाई। जन्माष्टमी के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और रात में भगवान के जन्म के समय से पहले गीत-संगीत एवं उनकी आराधना में डूबे रहते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि लगातार दो दिन पड़ रही है।
अष्टमी तिथि छह सितंबर को दोपहर 3:37 बजे शुरू हुई और सात सितंबर को शाम 4:14 बजे समाप्त होगी। अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के इस अद्वितीय संरेखण की वजह से दोनों दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। छह सितंबर को प्रात: 9 बजकर 20 मिनट से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ हो गया है। चंद्रमा वृष राशि में विराजमान हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस वर्ष सभी तत्वों का दुर्लभ योग मिल रहा है अर्थात 6 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अद्र्धरात्रिव्यापिनी, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृषस्थ चंद्रमा का दुर्लभ एंव पुण्यदायक योग बना था। छह सितंबर को 12 वर्षों बाद दुर्लभ शुभ फल देने वाला जयन्ती योग बना। इस साल 6 और 7 दोनों ही दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा सकता है।
मॉस्को: स्टालिन के रूस ने स्टालिन की विचारधारा को खारिज कर दिया और सनातन धर्म को अपना लिया। और भारत का स्टालिन सनातन धर्म का द्वेष करता है
आइए इस #जन्माष्टमी पर सनातन धर्म के पालने की रक्षा करने का संकल्प लें🙏
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जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में उमड़ी भीड़
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार को लेकर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड उमड़ पड़ी। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर लड़कियों, महिलाएं सहित अधिकांश लोगों ने व्रत रखा और भगवान कृष्ण का पूजा कर सुख समृद्धि की कामना की। मंदिरों में दिनभर झांकियों की सजावट का कार्य चलता रहा। मंदिरों में हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जयघोष से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। श्रद्दालुओं ने अपने अपने घरों में भी भगवान कृष्ण की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए पूजा-अर्चना की। इस मौके पर मंदिर में हरिनाम संकीर्तन का आयोजन विधिवत शुरू किया गया है।
भय प्रकट कृपाला दीनदयाला
बुधवार की रात घड़ी में जैसे ही रात के 12 बजे, ‘भए प्रकट कृपाला दीनदयाला…, ‘नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की… की ध्वनि गूंजने लगी है। घर- घर में कान्हा ने जन्म ले लिया है।
रात्रि में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म
भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा- अर्चना रात्रि में ही की जाती है।
बालगोपाल को जन्माष्टमी पर जरूर चढ़ाएं ये चीजें
जन्माष्टमी के पर्व पर आप कान्हा जी को भोग में पंचामृत जरूर चढ़ाएं. इसके अलावा माखन, मिसरी, मेवा, दही और धनिए की पंजीरी को जरूर अप्रित करें।
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इन मंत्रों का जाप करें
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा।।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे।।
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय।।
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
जन्माष्टमी व्रत में क्या खाएं
जानकारी के लिए बता दें जन्माष्टमी के व्रत में अनाज का सेवन नहीं कर सकते हैं। इस व्रत को आप फलहार कर सकते हैं या फिर कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवे भी खा सकते हैं।
जन्माष्टमी पर शुभ संयोग
क्या आपको पता है कि आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि, कृतिका नक्षत्र, हर्शन योग, बव करण, चन्द्र राशि वृषभ के साथ-साथ बुधवार का दिन है। आज सर्वार्थ सिद्धि योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। आज रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रोहिणी नक्षत्र का संयोग है।
किस तरह करें श्री कृष्ण की पूजा
यदि आप भगवान को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी पूजा हमारे द्वारा बताई गई विधि से करें। सबसे पहले आप शंख में साफ पानी भरकर कान्हा की मूर्ति को स्नान कराएं। स्नान के बाद उन्हें साफ और नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद आप चंदन और आभूषण से उनका श्रृंगार करें। ध्यान रहे कान्हा जी को मोरमुकुट, मोरपंख, उनकी प्रिय बांसुरी और माला पहनना नी भूले क्योंकि श्रृंगार के बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके बाद आप कान्हा जी की पूजा करें और उनकी आरती उतारें। इसके बाद उनके माथे पर टीका लगाएं और उनके पसंदीदा माखन, दही, मिश्री और खीर का भोग लगाएं।
जन्माष्टमी 2023 का शुभ मुहूर्त
अगर आप भी श्री कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें। बता दें श्री कृष्ण की पूजा का शुभ समय 6 सितंबर 2023, रात्रि 11.57 से 07 सितंबर 2023, प्रात: 12:42 तक है।
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