#CitizenshipAmendmentAct: क्या है भारत का CAA कानून? जिसे लेकर मोदी सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन, किसे मिलेगा फायदा, क्या है यह कानून… यहां देखें

न्यूज़ डेस्क(Bns)। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने आज यानि सोमवार, 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। बता दें भारतीय नागरिकता (संशोधन) कानून पर 5 साल पहले ही मुहर लग गई थी, लेकिन यह अब तक यह लागू नहीं हो सका था। लेकिन सोमवार को मोदी सरकार ने CAA को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी है। आइए इस खबर के माध्यम से जानते हैं कि आखिरकार CAA क्या है और इसे लागू करने से देश में क्या बदलाव देखें जाएंगे।

जानिए क्या है CAA कानून?
नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट) भारत के तीन पड़ोसी मुस्लिम बाहुल्य देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जो दिसंबर 2014 तक किसी न किसी प्रताड़ना का शिकार होकर भारत में शरण लिए हुए हैं। इसमें गैर-मुस्लिम माइनोरिटी- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग भी शामिल हैं। बता दें कि भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को CAA से कोई खतरा नहीं है।

किस साल में पारित हुआ था CAA?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहली बार सीएए 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था। यहां से तो यह बिल पास हो गया।।लेकिन राज्यसभा में जाकर ये अटक गया था। बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव आ गए…और फिर से बीजेपी की सरकार बनी। दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में दोबारा पेश किया गया और इस बार ये लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगहों से पास हो गया। इसके बाद 10 जनवरी, 2020 को राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूरी मिल गई थी…लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे लागू ककने में देरी हुई।

किस-किस को मिल सकेगी नागरिकता?
बता दें CAA लागू होने के बाद किसे नागरिकता देनी है और किसे नहीं देनी है इसका पूरा-पूरा अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा। पाकिस्तान-अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए थे। केवल उन्ही लोगों को नागरिकता दी जाएगी।

जानकारी के मुताबिक, सीएए कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है। जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बिना घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों।

कैसे करना होगा आवेदन?
भारतीय नागरिकता पाने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन रखी गई है…इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार हो चुका है। इस पोर्टल पर आवेदकों को अपना वह साल बताना होगा…जब उन्होंने बिना किसी दस्तावेज के भारत में प्रवेश किया था। नागरिकता पाने के लिए आवेदकों से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। पात्र विस्थापितों को सिर्फ ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपना आवेदन करना होगा। जिसके बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता जारी कर दी जाएगी।

गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई। वे नौ राज्य जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता दी जाती है उनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं। असम और पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है, लेकिन सरकार ने इन दोनों राज्यों में से किसी भी जिले को अब तक नागरिकता प्रदान करने की शक्ति नहीं प्रदान की है।

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