हेट स्पीच पर लगाम कसने की जरूरत, खराब हो रहा माहौल: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हेट स्पीच पर कहा कि देश में नफरत फैलने वाले भाषणों से पूरा माहौल खराब हो रहा है और इस पर लगाना कसने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों पर एक याचिका की सुनवाई में ये टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि हेट स्पीच वाले भाषणों पर रोक लगाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित (Chief Justice U U Lalit) और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, सरकार की ओर से हेट स्पीच पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है लेकिन वो कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

हेट स्पीच को लेकर याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा, 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का बयान देने के लिए नफरती भाषा का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा, अभद्र भाषा को एक लाभदायक व्यवसाय में अपने फायदे के लिए बदल लिया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि एक पार्टी ने कश्मीर फाइलों को वित्त पोषित किया था। जिसका मेरे पास सबूत भी है। इस पर पीठ ने कहा, ”आप बिल्कुल सही बोल रहे हैं, इन नफरत भरे भाषणों से पूरा माहौल खराब हो रहा है, हम भी समझते हैं कि इसे फौरन रोकने की जरूत है।”

मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने याचिकाकर्ता एच मनसुखानी से कहा कि आपने जांच के दौरान जो भी हेट स्पीच के उदाहरण पाए हैं, उसे कोर्ट के सामने पेश कीजिए। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, ”इस तरह की याचिका में यह देखा गया है कि कई बार कुछ चीजें रह जाती हैं। हालांकि एक नागरिक के रूप में, शायद आप सही हो कि हेट स्पीच से पूरा माहौल खराब हो रहा है और शायद आपके पास यह कहने के लिए हर उचित आधार है कि इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है, इसलिए हम वो उदाहरण देखना चाहेंगे।।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी मामले में संज्ञान लेने के लिए कोर्ट के पास एक फेक्चुअल बैकग्राउंड होना चाहिए, इसलिए याचिकाकर्ता एक या दो उदाहरणों हमें दिखाएं और उस पर फोकस करें।

कोर्ट ने कहा, ये एक रेंडम याचिका है, जिसमें कहा गया है कि ऐसे 58 उदाहरण हैं जहां किसी ने नफरत भरे भाषण दिए हैं और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है। लेकिन हमें यह भी नहीं पता कि विशेष अपराध का विवरण क्या है, स्थिति क्या है, मंच क्या है, इसमें शामिल व्यक्ति कौन हैं, कोई अपराध पंजीकृत है या नहीं।”

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