मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) शिवसेना प्रमुख बने रहेंगे। सीएम शिंदे की अध्यक्षता में मुंबई में हुई पार्टी की पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में कई फैसले लिये गए। बैठक में वीर सावरकर को भारत रत्न देने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। साथ ही यह मांग भी रखी गई कि स्थानीय भूमिपुत्रों को नौकरी में 80% का आरक्षण दिया जाए। राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने बैठक में पारित प्रस्तावों की जानकारी दी। मालूम हो कि निर्वाचन आयोग ने बीते शुक्रवार को ही शिंदे गुट को ‘असली शिवसेना’ के रूप में मान्यता दी थी। इसके साथ-साथ आयोग ने पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘तीर-कमान’ भी शिंदे गुट को आवंटित किया था। बैठक में पारित एक अन्य प्रस्ताव में संभाजी महाराज, वीरमाता जीजाबाई और अहिल्याबाई होल्कर को ‘राष्ट्रीय हस्तियों’ की सूची में शामिल करने की मांग की गई।
सामंत ने कहा कि अनुशासनात्मक समिति की अध्यक्षता राज्य बंदरगाह विकास मंत्री दादा भुसे करेंगे; आबकारी मंत्री शंभूराज देसाई और संजय मोरे इसके अन्य सदस्य होंगे। सामंत ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और उनके प्रति वफादार 16 विधायकों का नाम लिए बिना कहा, ‘अनुशासन समिति पार्टी के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करेगी और पार्टी के खिलाफ जाने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगी।’
बता दें कि बीते साल जून में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ एकनाथ शिंदे के विद्रोह ने महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार को गिरा दिया। ठाकरे खेमे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर शिंदे गुट के दलबदल की वैधता और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्थन से शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के गठन को चुनौती दी है. सुनवाई बुधवार को होनी है।
उद्धव ठाकरे खेमे की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी एवं न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष मंगलवार को इस मामले का जिक्र किया। ब्बल ने अनुरोध किया, ‘ईसी (Election Commission) के आदेश पर यदि रोक नहीं लगाई जाती है, तो वे चिह्न और बैंक खाते अपने कब्जे में ले लेंगे। कृपया इसे संविधान पीठ के समक्ष कल के लिए सूचीबद्ध कीजिए.’ शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे मामले की फाइल पढ़ने की जरूरत है और उसने मामले की सुनवाई को बुधवार दोपहर साढ़े तीन बजे के लिए स्थगित कर दिया।
वहीं, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले इस एकनाथ शिंदे गुट ने मीडिया से उसे ‘शिंदे धड़ा’ कहने की बजाय शिवसेना कहने का आह्वान किया। इसे लेकर एक पत्र जारी किया गया है। पार्टी सचिव संजय भौराव मोरे द्वारा जारी पत्र में कहा गया है, ‘निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार शिंदे गुट कहने के बजाय उसे शिवसेना कहा जाना चाहिए।’
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट मुंबई में शिवसेना भवन या राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी खेमे से जुड़ी किसी भी अन्य संपत्ति को लेने में दिलचस्पी नहीं रखता। केसरकर ने दावा किया कि ठाकरे का नेतृत्व वाला प्रतिद्वंद्वी गुट निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद इस मुद्दे पर सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रहा है। केसरकर ने कहा, ‘यह गलत धारणा है कि हम शिवसेना भवन या उद्धव ठाकरे से जुड़ी किसी अन्य संपत्ति को अपने कब्जे में लेने जा रहे हैं। हमें पार्टी कोष में भी कोई दिलचस्पी नहीं है।’