नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद अब नए कोरोना स्ट्रेन ने देश में हर किसी के लिए टेंशन भरा माहौल तैयार कर दिया है। नए साल पर कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) के आ जाने के बावजूद देशवासियों में यह संशय बना हुआ है कि क्या यह वैक्सीन नए कोरोना स्ट्रेन पर भी कारगर हो पाएगी या नहीं?
इसी सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से किए गए एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए अपनी सहमति जताई है। ट्वीट में साथ शब्दों में लिखा गया है कि नए कोरोना स्ट्रेन पर भी कोवैक्सीन पूरी तरह से कारगर होगी। यकीनन डॉ. हर्षवर्धन का यह ट्वीट आम लोगों के लिए राहत भरी खबर लेकर आई है।
इसी बीच नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने रविवार को देश में कोरोना वायरस से बचाव के लिये दो टीकों के आपात उपायोग की मंजूरी दिये जाने को कोविड-19 के खिलाफ अभियान में एक निर्णायक मोड़ बताया। उन्होंने कहा कि इस चुनौती को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों और उद्योग ने जिस गति से साथ मिलकर काम किया। वह ‘आत्मानिर्भर भारत’ की भावना और क्षमता को दर्शाता है।
भारत के औषधि नियामक DCGI ने रविवार को देश में सीमित आपात उपयोग के लिये सीरम इस्टीट्यूट द्वारा विनिर्मित ऑक्सफोर्ड कोविड-19 टीका कोविशील्ड तथा स्वदेश निर्मित भारत बॉयोटक की कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी। इससे बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान का रास्ता साफ हो गया है।
ICMR and @BharatBiotech collaborative a Whole Virion Inactivated Corona Virus Vaccine (#COVAXIN) is being approved for restricted use in emergency by DCGI. @MoHFW_INDIA @drharshvardhan @AshwiniKChoubey @PIB_India #ICMRFIGHTSCOVID19 #IndiaFightsCOVID19 #Unite2FightCorona pic.twitter.com/wDhAfdfdC3
— ICMR (@ICMRDELHI) January 3, 2021
‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना और क्षमता का प्रतीक
नीति आयोग ने पॉल के हवाले से ट्विटर पर लिखा है, ‘‘भारत के कोविड-19 के खिलाफ जारी अभियान में आज का दिन निर्णायक मोड़ है क्योंकि भारत में बने दोनों टीकों को आपात उपयोग के लिये मंजूरी मिल गयी है।” बता दें कि पॉल टीका प्रबंधन पर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के चेयरमैन भी हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘जिस गति के साथ हमारे वैज्ञानिक और उद्योग इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए एक साथ आए, वह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना और क्षमता का प्रतीक है।”
आपात स्थिति में टीकों के सीमित उपयोग के लिए स्वीकृति
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की अनुशंसा के आधार पर भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने यह मंजूरी प्रदान की है।
DCGI डॉ. वीजी सोमानी ने कहा, ‘‘सीडीएससीओ ने पर्याप्त अध्ययन के बाद विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का फैसला किया है और उसके अनुसार मेसर्स सीरम और मेसर्स भारत बायोटेक के टीकों के आपात स्थिति में सीमित उपयोग के लिए स्वीकृति प्रदान की जा रही है।”
भारत में कम से कम दो टीकों के जारी होने का रास्ता साफ
इससे आने वाले दिनों में भारत में कम से कम दो टीकों के जारी होने का रास्ता साफ हो गया है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड के विनिर्माण के लिये एस्ट्राजेनका के साथ गठजोड़ किया है। वहीं कोवैक्सी का विकास भारत बायोटेक ने भारत चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर किया है।
पहले डीएनए टीके के तीसरे चरण के परीक्षण को देश में मिली मंजूरी
वहीं, दूसरी ओर जैवप्रौद्योगिकी विभाग ने रविवार को कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने जाइडस कैडिला द्वारा विकसित किये जा रहे कोविड-19 के देश के पहले संभावित डीएनए टीके के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए मंजूरी दे दी है।
जैवप्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जैवप्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के तत्वावधान में राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) ने संभावित टीके के लिए सहयोग प्रदान किया है।
अंतरिम आंकड़े बताते हैं कि टीका सुरक्षित
डीबीटी ने कहा, ‘‘कोविड-19 के खिलाफ देश के पहले संभावित स्वदेश विकसित डीएनए टीके को तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण के लिए डीसीजीआई की मंजूरी मिल गयी है।” जाइडस कैडिला ने एक हजार से अधिक प्रतिभागियों में इस संभावित डीएनए टीके के पहले और दूसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण पूरा कर लिया है और अंतरिम आंकड़े बताते हैं कि टीका सुरक्षित है।
26,000 भारतीय प्रतिभागियों में तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण
डीबीटी ने कहा, ‘‘अंतरिम आंकड़ों का अध्ययन करने वाली विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर डीसीजीआई ने 26,000 भारतीय प्रतिभागियों में तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए स्वीकृति दे दी है।” डीबीटी सचिव और बीआईआरएसी अध्यक्ष रेणु स्वरूप ने उम्मीद जताई कि संभावित टीका सकारात्मक परिणाम देता रहेगा।