रायपुर। विश्वव्यापी तंबाकू दुर्व्यसन से निपटने के लिए दुनिया भर में कई तरह के सार्थक उपाय किए जा रहे हैं, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) की एमपावर (MPOWER) नीतियों पर आधारित हैं। इसके आधार पर ही देश में तंबाकू नियंत्रण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं है। प्रदेश को तंबाकू और धूम्रपान मुक्त राज्य बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए छत्तीसगढ़ एमपावर (MPOWER) के सभी छह उपायों की ओर अग्रसर है। इसका प्रदेश के लोगों को लाभ भी मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तंबाकू के दुर्व्यसन से मुक्ति और सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध नियम को सख्ती से लागू करने के लिए सामूहिक प्रयास बहुत जरूरी है।
एमपावर (MPOWER) रणनीति के सभी छह सिद्ध नीतियों पर कार्य करते हुए प्रदेश ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। राज्य के दो जिले धमतरी और कोंडागांव के स्कूल पूर्णतः तंबाकूमुक्त स्कूल के रूप में अग्रसर हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार धमतरी के 91 प्रतिशत यानि 1556 स्कूल और कोंडागांव के 55 प्रतिशत यानि 1091 स्कूल तंबाकूमुक्त हो चुके हैं। शेष स्कूल भी शीघ्र ही तंबाकूमुक्त हो जाएंगे। तंबाकू उपयोग की निगरानी के लिए राज्य तंबाकू नियंत्रण यूनिट लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए जिला स्तर पर निगरानी समितियों जिला समन्वय समिति का गठन किया गया है। इनके माध्यम से स्वास्थ्य विभाग अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर कार्य कर रहा है। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक 1732 लोगों पर कार्रवाई कर दो लाख 73 हजार 425 रुपए का चालान काटा गया है।
राज्य में अब तक 6172 स्कूलों को तंबाकूमुक्त घोषित किया गया है। ग्राम पंचायतों को भी तंबाकूमुक्त किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। तंबाकू नियंत्रण की गतिविधियों की सतत निगरानी, चालानी कार्यवाही एवं अधिक से अधिक संस्थानों को तंबाकूमुक्त बनाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। तंबाकू नियंत्रण की दिशा में अग्रसर छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन टोबैको मोनिटरिंग एप (TMA) के माध्यम से भी सतत निगरानी की जा रही है। वहीं सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों पर खरे उतरने वाले संस्थानों को तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान (TOFEI) भी घोषित किए जा रहे हैं। प्रदेश के सभी 33 जिलों में तंबाकू नशा मुक्ति केन्द्र (TCC) खोले गए हैं जिनके माध्यम से तंबाकू और धूम्रपान सेवन के गिरफ्त में फंसे लोगों को इस बुरी लत को छुड़वाने में मदद की जा रही है।
राज्य शासन ने एमपावर (MPOWER) रणनीति को और प्रभावी बनाने एवं तंबाकूमुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के लिए कई असरकारी कदम उठाए हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए मार्गदर्शिका भी जारी की है जिसके तहत 2 अक्टूबर के साथ ही नवम्बर और जून में ग्राम सभा का आयोजन करने के प्रावधान किए हैं जिसमें तंबाकूमुक्त ग्राम सभा के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा का प्रावधान है। राज्य में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लागू करने के साथ बिलासपुर देश का पहला जिला है जिसने ई-सिगरेट के संदर्भ में पहली कार्यवाही की। हुक्का बार पर कानूनी प्रतिबंध लगाने में छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य है। जशपुर को 26 जनवरी 2020 को तंबाकू मुक्त जिला घोषित किया गया है। राज्य सरकार ने सिगरेटों की खुली बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया है।
क्या है डब्ल्यूएचओ की एमपावर रणनीति
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक तंबाकू दुर्व्यसन से निपटने के लिए छह सिद्ध रणनीति (MPOWER) बनाई है। इसमें ‘एम’ यानि तंबाकू के उपयोग और रोकथाम नीतियों की निगरानी करना, ‘पी’ यानि लोगों को तंबाकू के धुएं से बचाना, ‘ओ’ यानि तम्बाकू का सेवन छोड़ने वालों की सहायता की पेशकश करना, ‘डब्ल्यू’ यानि तम्बाकू एवं तंबाकू सेवन के खतरों के बारे में चेतावनी देना व लोगों में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता लाना, ‘ई’ यानि तम्बाकू विज्ञापन, प्रचार और प्रसार पर प्रतिबंध को लागू करना और ‘आर’ यानि तम्बाकू एवं तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाना शामिल है।
क्या कहते हैं तंबाकू नियंत्रण की रणनीति पर विशेषज्ञ
तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन का कहना है कि डब्ल्यूएचओ ने तंबाकू की लत से निपटने के लिए छह सिद्ध रणनीति एमपावर (MPOWER) बनाई है। राज्य में इसका पूरी तरह पालन किया जा रहा है। इसके तहत तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 कोटपा के प्रावधानों के क्रियान्वयन एवं उनके उल्लंघन होने पर कार्रवाई को बेहतर किए जाने के लिए ‘टोबैको मॉनिटरिंग ऐप’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इससे चालानी कार्रवाई किए जाने का दायरा बढ़ेगा और सभी सक्षम अधिकृत अधिकारियों द्वारा चालानी कार्यवाही सुनिश्चित की जा सकेगी। तंबाकू नियंत्रण के लिए राज्य में मितानिनों की भी मदद ली जा रही है। राज्य में अंतर्विभागीय समन्वय के माध्यम से ही तम्बाकू उत्पाद प्रतिबंध नीतियों कोटपा एक्ट, 2003 के साथ ही हुक्का बार के लिए कोटपा छत्तीसगढ़ (संशोधन) अधिनियम, 2021 (हुक्का बार कानून) एवं ई-सिगरेट प्रतिबंध अधिनियम 2019 को भी प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा। डॉ. जैन ने सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध की 2 अक्टूबर को 15वीं वर्षगांठ पर लोगों से प्रदेश को तंबाकूमुक्त छत्तीसगढ़ बनाने की अपील की है।
तंबाकू व तंबाकूयुक्त उत्पादों के सेवन का नशा और धूम्रपान छुड़वाने में सक्रिय रायपुर डेंटल कॉलेज की एसोशिएट प्रोफेसर एवं राज्य तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की मास्टर ट्रेनर डॉ. शिल्पा जैन कहती हैं – “नशापान की पहली सीढ़ी तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करना ही है। सबसे चिंतनीय बात यह है कि 13 वर्ष से 15 वर्ष के बच्चे प्रदेश में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं और उम्रदराज महिलाएं तक इन उत्पादों के सेवन से अछूती नहीं हैं। हालांकि पुरूषों के मुकाबले इनकी संख्या कम है, परंतु इनकी पहचान करना, उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करना और उनकी काउंसिलिंग कर उनके मन में तंबाकू सेवन करने के विचारों को पनपने से रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। टीसीसी केन्द्रों में धूम्रपान या तंबाकू सेवन की आदत छोड़ने आने वालो की संख्या काफी कम है और जो पहुंचते हैं वे नियमित परामर्श के लिए नहीं पहुंचते हैं। इसकी वजह से राज्य में धूम्रपान या तंबाकू सेवन छोड़ने वालों की संख्या कम है।“
वॉलंटरी हेल्थ एसोशिएशन ऑफ इंडिया के बिनॉय मैथ्यू का कहना है कि तंबाकू नियंत्रण की दिशा में सरकार द्वारा सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में 2 अक्टूबर 2008 को सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध किया गया था। 15 वर्ष हो गए हैं इस कानून को जिस पर सख्ती की आवश्यकता है। विशेषकर जुर्माने की राशि को बढ़ाया जाना और होटल, एयरपोर्ट आदि सार्वजनिक स्थलों पर स्मोकिंग जोन को हटाना चाहिए और 2008 में बने कानून का सख्ती से पालन करना चाहिए।
क्यूं तंबाकू से दूरी है जरूरी
तंबाकू न सिर्फ शरीर को अस्वस्थ बनाता है, बल्कि अकाल मौत का मुख्य कारण भी बनता है। तंबाकू उत्पादों के सेवन से शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है।
तंबाकू के सेवन से हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, फेफड़ों का कैंसर, आंख का कैंसर, लिवर और मुंह का कैंसर, दांत खराब होना, कमजोर बाल, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना, मस्तिष्क और मांसपेशियां कमजोर होना तथा फेफड़ों में म्यूकस कोशिकाओं की वृद्धि का खतरा रहता है। इससे आंखों की रोशनी कमजोर होकर मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और डायबिटिक रेटीनोपैथी भी हो सकती है।