रायपुर(बीएनएस)। चहकते बच्चे और उनके नटखट अंदाज हर किसी को स्वभाविक रूप से आकर्षित कर लेते हैैं। खिलखिलाते बच्चों का ऐसा ही खूबसूरत नजारा नारायणपुर जिले के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में देखने को मिल रहा है। कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में पोषण पुनर्वास केन्द्र बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इन केन्द्रों में शारीरिक रूप से कमजोर और कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। गांधी जयंती 2 अक्टूबर के अवसर पर शुरू हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत् नवम्बर माह तक जिले के गंभीर कुपोषित 150 बच्चों को पुर्नवास केन्द्र में भर्ती कर सामान्य श्रेणी में लाया जा चुका है। पोषण पुनर्वास केन्द्रों के अतिरिक्त जिले में संचालित 557 आंगनबाड़ी केन्द्रों में सुपोषण अभियान के तहत महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है । सुपोषण रथ, कला जत्था के माध्यम से भी लोगों में पौष्टिक आहार लेने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इसका असर लोगों में दिखने लगा है।
नारायणपुर जिला चिकित्सालय में अपने बच्चे को पुनर्वास केंद्र में लायी ग्राम बेलगांव निवासी श्रीमती कमलबती ने बताया कि मितानिन की सलाह पर वह अपने 2 वर्ष के बच्चे सुभाष के साथ विगत 10 दिनों से केन्द्र में रह रही हैं। नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण व पौष्टिक आहार से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार आया है। अब वह दिन भर खेलता है और खाने के प्रति रूचि भी बढ़ी है। सुभाष की नटखट हरकतों से अस्पताल के दूसरे मरीज व परिजन भी आकर्षित हो जाते है। इसी तरह ग्राम सरगीपाल की डेढ़ वर्षीय कुमारी दुर्गेश भी विगत 14 दिनों से पुर्नवास केन्द्र में भर्ती है। कुमारी दुर्गेश की मां सनबती बाई ने बताया कि पहले वह शारीरिक रूप से कमजोर थी और गुमसुम रहती थी। अच्छे खानपान और देखभाल से दुर्गेश के सेहत में सुधार आया है अब दुर्गेश खूब खेलती है। केन्द्र में स्वास्थ्य लाभ ले रहे सभी बच्चों के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। यहां बच्चों की माताओं को घर में पौष्टिक आहार तैयार करने के लिए भी बताया जाता है। इसके अलावा पोषण पुर्नवास केन्द्र में स्वास्थ्य संबंधी साफ-सफाई आदि की जानकारी भी दी जाती है।
जिले में 5 पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है। जिसमें नारायणपुर विकासखण्ड में जिला चिकित्सालय तथा ओरछा विकासखण्ड में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ओरछा और रामकृष्ण मिशन आश्रम द्वारा कुंदला, ओरछा तथा आकाबेड़ा में 10-10 बेड वाले पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित हैं। मितानिनों एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकों के माध्यम से गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती किया जाता है। यहां बच्चे की माता व बच्चे को शिशु रोग विशेषज्ञ की निगरानी में आवश्यक उपचार व पौष्टिक आहार प्रदान किया जाता है। उन्हें स्वास्थवर्धक दवाईयों के साथ ही दूध, खिचड़ी आदि पौष्टिक आहार दिया जाता है।