न्यूज़ डेस्क (Bns)। जननायक के नाम से मशहूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) से सम्मानित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने उनकी जयंती सेठ ठीक पहले इसका ऐलान किया है। कर्पूरी ठाकुर की जयंती 24 जनवरी को मनाई जाती है। कर्पूरी ठाकुर 1970 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से कई प्रमुख सुधार लागू किए थे। 24 जनवरी, 1924 को बिहार के छोटे से गांव में जन्मे कर्पूरी ठाकुर मजबूत नेतृत्व कौशल और लोगों के कल्याण के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते थे। कर्पूरी ठाकुर बेहद साधारण पृष्ठभूमि से थे और कई चुनौतियों के बावजूद, वह अपनी शिक्षा पूरी करने में सफल रहे। कर्पूरी ठाकुर महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रभावित थे और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थे।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर को उनकी 100 वीं जयंती के अवसर पर भारत रत्न देने की घोषणा पर लोजपा (रा.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष @iChiragPaswan ने प्रधानमंत्री @narendramodi का आभार जताया।#KarpuriThakur #BharatRatna pic.twitter.com/acrb8PBjmJ
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) January 23, 2024
राजनीति में लंबा समय रहने के बाद भी जब उनका निधन हुआ तो अपने परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम नहीं था। न तो पटना में और न ही वह उपने पैतृक घर में एक इंच जमीन जोड़ पाए। उनकी ईमानदारी से जुड़े कई किस्से आज भी बिहार में आपको सुनने को मिलते हैं। उनके जीवन से जुड़े कई किस्से नई पीढ़ी को प्रेरणा देते हैं।
कर्पूरी ठाकुर साल 1952 में पहली बार विधायक बने और उन्हें विदेश जाने का मौका मिला। ऑस्ट्रिया जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के लिए कर्पूरी ठाकुर का चयन किया गया था। कर्पूरी ठाकुर विदेश जाने के लिए उत्सुक थे, लेकिन उनके पास पहनने के लिए ढंग के कपड़े भी नहीं थे। ऐसे में उन्होंने अपने एक मित्र की मदद ली और उनसे कोट मांगा था। वहीं फटा हुआ कोट पहनकर उन्होंने विदेश की यात्रा की थी। BBC से बात करते हुए उनके बेटे रामनाथ ठाकुर ने यह किस्सा शेयर किया था। रामनाथ ठाकुर JDU से राज्यसभा सांसद हैं। रामनाथ ठाकुर ने बताया था कि वहां से वह यूगोस्लाविया भी गए तो मार्शल टीटो ने देखा कि उनका कोट फटा है तब उन्हें एक कोट भेंट किया।’
मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
कर्पूरी ठाकुर की सादगी से जुड़ा एक किस्से का जिक्र यूपी के कद्दावर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा ने भी अपने संस्मरण में किया था। उन्होंने लिखा था, ‘कर्पूरी ठाकुर की आर्थिक तंगी को देखते हुए देवीलाल ने पटना में अपने एक हरियाणवी मित्र से कहा था- कर्पूरीजी कभी आपसे 5-10 हजार रुपये मांगें तो आप उन्हें दे देना, वह मेरे ऊपर आपका कर्ज रहेगा। बाद में देवीलाल ने अपने मित्र से कई बार पूछा- भई कर्पूरीजी ने कुछ मांगा। हर बार मित्र का जवाब होता- नहीं साहब, वे तो कुछ मांगते ही नहीं।’
कर्पूरी ठाकुर का राजनीतिक करियर 1950 के दशक में तब शुरू हुआ, जब वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। वह तेजी से आगे बढ़े और पार्टी में एक प्रमुख नेता बन गए। ठाकुर अपने मजबूत सिद्धांतों और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 1970 में ठाकुर को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. ठाकुर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण नीति का कार्यान्वयन था।
‘सामाजिक न्याय’ के पुरोधा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत उनकी 100 वीं जयंती के अवसर पर भारत रत्न देने की घोषणा करने पर देश के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी का आभार व्यक्त करता हूं।
जननायक कर्पूरी ठाकुर जी समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को मान-सम्मान दिलाने… pic.twitter.com/TpncR9rWA9— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) January 23, 2024
राष्ट्रपति भवन ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कर्पूरी ठाकुर को (मरणोपरांत) भारत रत्न के लिए चुना गया है। ठाकुर देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले 49वें व्यक्ति हैं। वर्ष 2019 में यह पुरस्कार दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रदान किया गया था। नाई समाज से संबंध रखने वाले ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को हुआ था। उन्हें बिहार की राजनीति में 1970 में पूरी तरह शराब पाबंदी लागू करने का श्रेय दिया जाता है। समस्तीपुर जिले में जिस गांव में उनका जन्म हुआ था, उसका नामकरण कर्पूरी ग्राम कर दिया गया था। ठाकुर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी और उन्हें 1942 से 1945 के दौरान ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। वह राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं से प्रभावित थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत में समाजवादी आंदोलन चलाया था। वह जयप्रकाश नारायण के भी करीबी थे। मुख्यमंत्री के रूप में ठाकुर के कार्यकाल को मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए भी याद किया जाता है जिसके तहत राज्य में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू किया गया था।
I am delighted that the Government of India has decided to confer the Bharat Ratna on the beacon of social justice, the great Jan Nayak Karpoori Thakur Ji and that too at a time when we are marking his birth centenary. This prestigious recognition is a testament to his enduring… pic.twitter.com/9fSJrZJPSP
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह हाशिए पर पड़े लोगों के लिए एक योद्धा और समानता व सशक्तीकरण के दिग्गज के रूप में समाजवादी नेता के स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है। मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रकाश स्तंभ महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।’’