नक्सलगढ़ में सुरक्षित मतदान लोकतंत्र के लिए चुनौती

नक्सलगढ़ में सुरक्षित मतदान लोकतंत्र के लिए चुनौती

रायपुर। बस्तर संसदीय सीट पर 11 अप्रैल को मतदान की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है, लेकिन नक्सल प्रभावित इस सीट पर मतदान को प्रभावित करने की कोशिश भी नक्सली कर रहे हैं। पिछले सप्ताह दो नक्सली वारदात में पांच जवानों के शहीद होने के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है वहीं निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारियों को दुरूस्त कर लिया है लेकिन संशय में है आम मतदाता है जो पूरी तरह दो पाट के बीच खड़े हैं। मतदान करते हैं तो नक्सलियों से खतरा है और नहीं करते हैं तो लोकतंत्र के साथ नाइंसाफी. ऐसे में एक बड़ी चुनौती है इस महापर्व के समक्ष, लेकिन विधानसभा चुनाव की स्थिति पर नजर डालें तो जिस प्रकार भारी संख्या में यहां के लोगों ने मतदान किया था, इस बार भी करेंगे। अंतिम दौर में राजनीतिक दल भरपूर प्रयास कर रहे हैं माहौल अपने पक्ष में करने लेकिन यह कितना सार्थक होगा मतदान के आंकड़े बतायेंगे। लगातार चुनाव बहिष्कार को लेकर बैनर व पर्चों से नक्सली विरोध दिखा रहे हैं। हाट बाजार से लेकर गांव की चौपाल तक प्रत्याशी और समर्थक अपनी बात पहुंचा रहे हैं लेकिन मतदाता अपनी खामोशी नहीं तोड़ रहे हैं।

अभी भी एक बड़ा सवाल कौंध रहा है कि आखिर चुनाव आते नक्सली सक्रिय क्यों हो जाते हैं? कांकेर व धमतरी इलाके में नक्सली हमले से यह भी जाहिर हो गया है कि उन्होने नए ठिकाने पर अपनी मौजूदगी दिखाई है। अमूमन अब तक जो ज्यादा वारदात होते रहे हैं वह सुकमा, बीजापुर, नारायपुर, दंतेवाड़ा का इलाका रहा है। राजनीतिक दंश भी कहीं न कहीं इन सब हालातों के लिए जिम्मेदार हैं। पिछले पन्द्र सालों में जब भाजपा की सरकार रही नक्सली घटना में किसी प्रकार की कमी नई आई, नीतियां बदलने के साथ केन्द्र में उनकी ही सरकार होने के बावजूद लगातार घटनाएं हुई। लेकिन अब सत्ता से बाहर होने के बाद वे वर्तमान सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं और उनकी नीतियों की आलोचना कर रहे हैं जिन्हे कुर्सी संभाले मुश्किल से दो माह भी नहीं हुए हैं। नक्सली खुद तय नहीं कर पा रहे हैं उन्हे क्या करना है, एक ओर वार्ता का प्रस्ताव रखते हैं और दूसरी ओर हमले जारी रखते हैं। सरकार का यह मानना है कि दोनों एक साथ संभव नहीं। बहरहाल चुनौती शांतिपूर्ण मतदान लोकसभा चुनाव के लिए करवाना है इसके बाद सरकार की नीति व नक्सलियों के मंसूबे पर आगे का रूख पता चलेगा।

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.