नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा में कथित तौर पर शामिल 200 लोगों की तस्वीरें जारी की हैं। पुलिस ने बताया कि वीडियो को स्कैन करके लोगों की तस्वीरें ली गई हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने तस्वीरें जारी कर दी हैं और आरोपियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जानकारी के अनुसार, केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों की पुलिस के साथ झड़पें हो गई थीं। प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर लेकर लाल किले तक पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने लाल किले की गुंबद और प्राचीर के ध्वज स्तंभ पर धार्मिक झंडा लगा दिया था। इस हिंसा में 500 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए थे और प्रदर्शनकारी की मौत भी हो गई थी। दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के मामले में अब तक 152 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने इस हिंसा के लिए राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, राजिंदर सिंह, मेधा पाटकर, बूटा सिंह, दर्शन पाल और बलबीर सिंह राजेवाल समेत 37 किसान नेताओं के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है।
स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच की टीमें मिलकर कर रही हैं। सभी आरोपियों को कानून के शिकंजे में लाने के लिए गहनता से सबूत जुटाए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस का दावा है कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण एक सोची-समझी साजिश थी ताकि पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार को शर्मिंदा कराया जा सके।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 87वें दिन भी जारी है। इस बीच किसानों को मनाने के लिए अब तक केंद्र सरकार की ओर से की गईं सभी कोशिशें बेनतीजा रही हैं।
उल्लेखनीय है कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।