न्यूज़ डेस्क। फ्रांस में हाल ही में पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून विवाद को लेकर कट्टरपंथी मुस्लिम ने एक टीचर की हत्या कर दी। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसे इस्लामी आतंकवाद करार दिया। इस वारदात के बाद उन्होंने इस्लामी कट्टरपंथियों और आतंकवादियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया। फिर क्या था दुनियाभर में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन और बॉयकॉट अभियान शुरू हो गए। भारत में भी जगह-जगह फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शन में कई जगह उसी तरह के नारे लगाए जा रहे हैं जो कमलेश तिवारी हत्याकांड के समय लगे थे… तो क्या इस्लामिक कट्टरपंथी फ्रांस के बहाने दंगा फैलाने की साजिश रच रहे है।
"Gustaakh Nabi ki ek saza, sar tan se juda sar tan se juda"
-The slogans that preceded Kamlesh Tiwari's murder are back on streets again and all that the state govt has managed to do is book them for Covid-related violation pic.twitter.com/hrpgaxBxFW— Swati Goel Sharma (@swati_gs) October 31, 2020
Massive de-radicalisation is needed along with taking away of some perks in the name of minority!
— Illiterate cow-belt person (@ilzamophobe) October 31, 2020
Problem lies in their thinking process/mindset.. deradicalisation wont work..it need some other ways.. pic.twitter.com/qm5jnL504d
— Being_Me_प्रमोद 🇮🇳 (@myselfpramo) October 31, 2020
ये सब प्रयोग चल रहें हैं ,दिल्ली दंगा भी एक प्रयोग था । किसी के भरोसे ना बैठिये अपनी सुरक्षा स्वयं करिए ,पुलिस और पोलिटिकल पार्टी,पत्रकार हत्या और बलात्कार होने के बाद आएगी ।100करोड़ है हम जिस दिन इनके जवाब में घर के बाहर निकलना शुरू कर दिया ये समस्या वहीं खत्म हो जायेगी ।
— Yogesh(Nation First) (@YogeshExSecular) October 31, 2020
https://twitter.com/JPallaviR7/status/1322749829731164160?s=20
See how organized they are ? Anytime 1000's show up on call . Mosque are more like boot camp than a place of worship
— Parmarth (@mpl_rummy) October 31, 2020
https://twitter.com/siabhimanyu1/status/1322584556180967424?s=20