शंकराचार्य आश्रम, रावांभाठा के रास्ते विवाद को धार्मिक रंग न दे-कांग्रेस
रायपुर। शंकराचार्य आश्रम की रावांभाठा में प्रस्तावित श्री सुदर्शन संस्थानम परिसर का जमीन विवाद रावांभाठा के ग्रामीणों और संस्था के बीच रास्ते का आपसी विवाद है। भारतीय जनता पार्टी इस मामले को सांप्रदायिक और धार्मिक विवाद बनाने का प्रयास मत करे।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रावांभाठा के निवासियों ने तहसीलदार धरसींवा के समक्ष सार्वजनिक रास्ते में अवरोध पैदा कर बाउंड्रीवाल बनाने की शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के जनदर्शन में 2015 में की थी। सन् 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय ही धरसींवा अतिरिक्त तहसीलदार के न्यायालय में राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत अवैध कब्जे का मामला दर्ज हुआ था। सुनवाई के पश्चात भाजपा सरकार ने ही जनवरी 2018 में आश्रम की बाउन्ड्रीवाल हटाने का आदेश दिया था। इसी आदेश के आधार पर रावांभाठा के निवासी लगातार बाऊन्ड्रीवाल हटाने की मांग कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय किये गये उसी आदेश के पालन के परिपेक्ष्य में धरसींवा तहसीलदार ने रास्ते को बाधित करने वाले बाउन्ड्रीवाल के हिस्से को हटाया था। धर्म संघ पीठ परिषद के पदाधिकारियों ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से किया है। मुख्यमंत्री ने रायपुर कलेक्टर को पूरे मामले की जांच कर कार्यवाही का आदेश दिया है। भारतीय जनता पार्टी अपने सांप्रदायिक और विघ्न संतोषी चरित्र के कारण पूरे मामले को गलत दिशा देने का प्रयास कर रही है। शंकराचार्य और उनका मठ उनके आश्रम हिन्दू धर्म के लिये आदर और सम्मान के पात्र है और रावांभाठा में रास्ते की मांग करने वाले लोग भी हिन्दूधर्म अवलंबी है, ऐसे में यह विवाद रास्ते और जमीन का ही है।