सिम्स के पीडियाट्रिक आईसीयू में आग लगने से एक बच्चे की मौत,जांच होगी
बिलासपुर। सिम्स के पीडियाट्रिक आईसीयू में आग लगने से आज एक बच्चे की मौत हो गई। वहीं, एक की हालत नाजुक बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार आग लगने के बाद आईसीयू में काफी धुंआ भर गया था। लेकिन तब तक दो बच्चे की स्थिति बिगड़ गई थी। आईसीयू में तब 40 बच्चे थे। आगजनी की घटना सुबह 11.30 बजे की है। सिम्स हादसे को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। घटना को बेहद दुखद बताते हुए पूरे मामले की जाँच कराए जाने के लिए पांच सदस्यीय टीम गठित कर दी है। पीडियाट्रिक वार्ड में आग कैसे लगी, इस पूरे घटनाक्रम में कौन दोषी है इसकी जाँच कराए जाने के आदेश दे दिए गए हैं, दोषियों को नही बख्शा जाएगा।
जिस आईसीयू के पावर पेनल में आग लगी, उसमें गंभीर रूप से बीमार बच्चे भरती किए जाते हैं। पेनल आईसीयू से ठीक नीचे के फ्लोर में है। जिससे नीचे का धुंआ उपर उठकर आईसीयू में घुसने लगा। बताते हैं, आग की सूचना मेडिकल सुपरिटेंडेंट को दी गई। उन्होंने कुछ और डाक्टरों को लेकर तुरंत मौके पर पहुंचे। उस समय तक आईसीयू धुंए से भर गया था। आलम यह था कि बेड और दीवार दिखाई नहीं पड़ रहे थे। मोबाइल के टार्च से आईसीयू के शीशे तोड़े गए। एक तरफ शीशा तोड़ जा रहा था, दूसरी ओर बच्चों को शिप्ट करने का काम भी शुरू कर दिया गया।
आईसीयू में तब 40 बच्चे एडमिट थे। सभी को निकालकर नीचे के बरामदा में रखा गया। कई बच्चों को आक्सीजन लगे थे। बरामदे में बिना आक्सीजन कुछ बच्चों की तबियत बिगड़ने लगी। पास में और कोई अस्पताल था नहीं, जिसके पास पर्याप्त संख्या में आक्सीजन के सिलेंडर हो। डाक्टरों ने सिम्स से करीब आधा किलोमीटर दूर शिश भवन अस्पताल के डा0 गिरी से बात की। वहां भी पेसेंट की संख्या अधिक थी। लेकिन, हालात को देखते उन्होंने तुरंत बच्चों को भेजने के लिए कहा। इसके बाद एंबुलेंस से सात बच्चों को शिशु भवन भेजा गया। इसके बाद नौ बच्चे को जिला अस्पताल के आईसीयू में रवाना किया गया।
सिम्स छत्तीसगढ़ का दूसरा बड़ा मेडिकल कालेज अस्पताल है। 650 बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में कम समय ऐसा होता है, जब बेड खाली रहता हो। यानी 600-625 मरीज तो हमेशा भरती रहते हैं। और, लगभग इतने ही उनके परिजन। आग पर अगर तत्काल काबू नहीं पाई गई होती तो आप नुकसान का अंदाजा लगा सकते हैं।
00 स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने घटना पर दुख जताया