कांग्रेस की जरूरत नहीं, भाजपा को हराने के लिए सपा-बसपा ही काफी
कोलकाता। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ मिल कर आगामी आम चुनाव में भाजपा को हराने में सक्षम है और इसके लिए कांग्रेस जैसी “गैर जरूरी”ताकत की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह संकेत दिया कि सपा-बसपा गठबंधन रायबरेली एवं अमेठी निर्वाचन क्षेत्र को छोड़ सकता है जिनका लोकसभा में प्रतिनिधित्व क्रमश: संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करते हैं। नंदा ने बताया, “उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अनावश्यक ताकत है इसलिए हम उसे शामिल करने या बाहर रखने के बारे में सोच ही नहीं रहे हैं।
उन्होंने कहा, “राज्य में सपा-बसपा गठबंधन मुख्य ताकत है तो भाजपा का सामना करेंगे। कांग्रेस एक या दो सीट पर हो सकती है। यह फैसला लेना कांग्रेस पर है कि वह अपने आप को कहां देखना चाहती है।” लोकसभा चुनावों से पहले सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला लेने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव के बीच बातचीत तेज होने संबंधी खबरों के बाद नंदा की यह टिप्पणी आई है। दोनों नेताओं ने शुक्रवार को नयी दिल्ली में मुलाकात की थी। नंदा के मुताबिक कांग्रेस अभी भी “गठबंधन राजनीति” के मंत्र के हिसाब से नहीं ढल पाई है क्योंकि “वह अपने सहयोगियों के लिए उन राज्यों में एक इंच भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं जहां वह मजबूत है लेकिन जहां वह कमजोर है वहां दूसरों से अपने लिए बड़ा हिस्सा छोड़ने की उम्मीद करती है।”
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखना क्या भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “हमारे पूर्व के अनुभवों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जहां कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे भी हैं, वहां हमें भाजपा को हराने में कोई मुश्किल नहीं हुई। कांग्रेस का वोट शेयर पूरी तरह गैर जरूरी है।” विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में पूछे जाने पर नंदा ने कहा कि इस बारे में फैसला चुनाव के बाद आम सहमति से किया जाएगा। । समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ मिल कर आगामी आम चुनाव में भाजपा को हराने में सक्षम है और इसके लिए कांग्रेस जैसी “गैर जरूरी”ताकत की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह संकेत दिया कि सपा-बसपा गठबंधन रायबरेली एवं अमेठी निर्वाचन क्षेत्र को छोड़ सकता है जिनका लोकसभा में प्रतिनिधित्व क्रमश: संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करते हैं। नंदा ने बताया, “उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अनावश्यक ताकत है इसलिए हम उसे शामिल करने या बाहर रखने के बारे में सोच ही नहीं रहे हैं।
उन्होंने कहा, “राज्य में सपा-बसपा गठबंधन मुख्य ताकत है तो भाजपा का सामना करेंगे। कांग्रेस एक या दो सीट पर हो सकती है। यह फैसला लेना कांग्रेस पर है कि वह अपने आप को कहां देखना चाहती है।” लोकसभा चुनावों से पहले सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला लेने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव के बीच बातचीत तेज होने संबंधी खबरों के बाद नंदा की यह टिप्पणी आई है। दोनों नेताओं ने शुक्रवार को नयी दिल्ली में मुलाकात की थी। नंदा के मुताबिक कांग्रेस अभी भी “गठबंधन राजनीति” के मंत्र के हिसाब से नहीं ढल पाई है क्योंकि “वह अपने सहयोगियों के लिए उन राज्यों में एक इंच भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं जहां वह मजबूत है लेकिन जहां वह कमजोर है वहां दूसरों से अपने लिए बड़ा हिस्सा छोड़ने की उम्मीद करती है।”
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखना क्या भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “हमारे पूर्व के अनुभवों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जहां कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे भी हैं, वहां हमें भाजपा को हराने में कोई मुश्किल नहीं हुई। कांग्रेस का वोट शेयर पूरी तरह गैर जरूरी है।” विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में पूछे जाने पर नंदा ने कहा कि इस बारे में फैसला चुनाव के बाद आम सहमति से किया जाएगा।