बीजों की गेंद से सरगुजा में जंगल को मिलेगा पुनर्जीवन

बीजों की गेंद से सरगुजा में जंगल को मिलेगा पुनर्जीवन

अंबिकापुर। बीजों की गेंद से सरगुजा में जंगल को पुनर्जीवित करने एक अभिनव प्रयास शुरू किया जा रहा है । कोरिया वनमंडल इन दिनों पर्यावरण बचाने के लिए एक अनूठा प्रयोग करने जा रहा है, नवदस्थ डीएफओ मनीष कश्यप की यह पहल यदि सफल हुई तो यह पौधा रोपण के लिए मील का पत्थर साबित होगा। श्री कश्यप वनमंडल की नर्सरियों में वन में उगने वालों पेड़ों के साथ पीपल और बरगद के बीजों की एक गेंद तैयार करवा रहे है, जिन्हें जहां पेड़ खत्म हो गए है वहां फेंका जाएगा, ये स्वयं अंकुरित होकर पेड बनेंगे। इसके लिए स्थान का चयन, बॉल्स् को फेंकने के पहले और बाद में फोटोग्राफी सहित इस मिशन का सफल बनाने की रणनीति पर काम तय कर लिया गया है।

इस संबंध में कोरिया वनमंडल के डीएफओ मनीष कश्यप बताते है कि यह एक प्रयोग मात्र है, हर नर्सरी में 15-15 हजार सीड बॉल्स तैयार की जा रही है। इन सीड बॉल्स से कम बजट में भी पर्यावरण में एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। सीड बॉल्स से जंगली पेड़, अर्ध जंगली पेड, फलदार पेड़, चारे के पेड़, अनाज सब्जियां आदि सब एक साथ ऊगा सकते हैं। इस तकनीक में फसलों पर छाया का असर नहीं होता है। इस प्रकार बहुत कम जगह से बहुत अधिक पैदावार ली जा सकती है।

जानकारी के अनुसार राज्य में पहले प्लास्टिक मुक्त पौधारोपण की तैयारी कोरिया वनमंडल में की जा रही है। वनमंडल की सभी नर्सरी में इसकी तैयारी जोर शोर से की जा रही है, काफी संख्या में सीड बॉलस् तैयार कर ली गई है, और बनाने का काम जारी है, इसे प्रयोग के तौर पर खाली पड़ी वन भूमि पर पहले डाला जाएगा, पहले और बाद में फोटोग्राफी और विडियोग्राफी करवाई जाएगी। अच्छे परिणाम आने पर इस और वृहद रूप से बढ़ाया जाएगा।

बताया जाता है कि ये बीज (सीड बॉल) किसी भी खाली जमीन या जंगल पर फेंक दिए जाते हैं और इसके लिए जंगल के अंदर जाना भी जरूरी नहीं होता। गुलेल के माध्यम से इन्हें फेंका जा सकता है। ये तरीका इसलिए कारगर साबित हो सकता है क्योंकि इससे पेड़ उगाने पर हो रहा खर्चा आधे से भी कम हो जाता है। इसके अलावा पॉलीथिन की थैलियों से भी निजात मिलता है। इन सीड बॉल्स के चारकोल में लिपटे होने की वजह से जानवर इससे दूर रहते हैं और जैसे ही बारिश इन पर पड़ती है ये अंकुरित होना शुरू हो जाते हैं। धीरे-धीरे बंजर लग रही जमीन भी ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से हरी-भरी हो जाती है। इसके आलावा जहां वैज्ञानिक खेती से फसले, मिटटी, पानी और हवा में जहर घुलता है, और सूखा पड़ता है। कुदरती खेती में इसके विपरीत परिणाम आते हैं। जमीन उर्वरक, पानीदार और हरियाली से भर जाती है।

सीड बॉल क्या है ?

बीजों को जब क्ले मिटटी की परत से आधा इंच से लेकर एक इंच तक की गोल गोल गोलियां से सुरक्षित कर लिया जाता है उसे सीड बॉल कहते हैं। क्ले मिट्टी वह है जो मिटटी के बर्तन और मूर्ति आदि को बनने में उपयोग में लाई जाती है। जो तालाब की तलहटी ,नदी, नालों के किनारे जमा पाई जाती है। यह सर्वोत्तम खाद होती है। यह बहुत महीन चिकनी होती है। इसकी गोली बहुत कड़क मजबूत बनती है। जिसे चूहा, चिडिय़ा तोड़ नहीं सकता है। इसमें बीज पूरी तरह सुरक्षित हो जाता है। इस मिट्टी में असंख्य जमीन को उर्वरता और नमी प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवाणु रहते हैं। इसके एक कण को सूक्ष्म दर्शी यंत्र से देखने पर इसमें सूक्ष्म जीवाणुओं आलावा निर्जीव कुछ भी नहीं रहता है। यह गोली आम जंगली बीजों की तरह जमीन पर पड़ी रहती है बरसात या अनुकूल मौसम आने पर ऊग आती है। क्ले की जैविकता तेजी से पनप कर नन्हे पौधे को पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान कर देती है। जिस से बंपर उत्पादन मिलता है। सीड बाल का उपयोग बिना जुताई, बिना जहरीले रसायनों और बिना गोबर के कुदरती खेती करने और मरुस्थलों को हरियाली में बदलने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

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