न्यूज़ डेस्क (Bns)। Chandrayaan-3 को चांद पर लैंड कराकर भारत ने इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर (Vikram Lander) चांद की सतह पर सफलतापूर्व लैंड हुआ। सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर देशभर की दुआएं काम आईं और ISRO ने भारत को यह उपलब्धि दिलाई। तय समय के मुताबिक शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद पर लैंड हुआ।
इसके साथ ही ऐसा कारनामा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ इस तकनीक में महारत हासिल थी, हालांकि उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं हुई थी और भारत ने चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया है। मालूम हो कि भारत ने 14 जुलाई को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM3) रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान 3’ का प्रक्षेपण किया था।
Chandrayaan-3 Mission:
🇮🇳India is on the moon🌖.
Appreciations and thanks
for all the contributions
from India and abroad to this
ISRO-turned-National endeavour called Chandrayaan-3.https://t.co/MieflRY20B
Thank You!@PMOIndia@DrJitendraSingh@HALHQBLR@BHEL_India…— ISRO (@isro) August 23, 2023
चंद्रयान-3 से क्या होगा हासिल?
Chandrayaan-3 का पहला चरण सफल हो गया है. उसका लैंडर रोवर (Vikram Lander) चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट-लैंडिंग (Soft Landing) कर चुका है। अब रोवर चांद की सतह पर चलेगा और कई वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट को अंजाम देगा। चांद की सतह पर पहुंचते ही लैंडर और रोवर अगले एक लूनर डे या चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिनों के समान समय के लिए एक्टिव हो गए। ISRO ने इससे पहले सितंबर 2019 में चंद्रयान- 2 को चांद पर उतारने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय उसका विक्रम लैंडर क्रैश हो गया था। भारत के लिए यह मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि अब तक कोई भी देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका था।
चंद्रयान-3 इतना अहम क्यों?
चंद्रयान- 3(Chandrayaan-3) का अभियान न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय के लिए अहम है। लैंडर चांद की उस सतह पर जाएगा, जिसके बारे में अब तक कोई जानकारी मौजूद नहीं है। लिहाजा इस अभियान से हमारी धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चांद के विषय में जानकारी और बढ़ेगी. इससे न केवल चांद के बारे में, बल्कि अन्य ग्रहों के विषय में भी भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान की क्षमता विकसित होगी।
‘चंद्रयान-3’ की लागत 600 करोड़ रुपये, 41 दिन की यात्रा
भारत ने 14 जुलाई को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM3) रॉकेट के जरिए 600 करोड़ रुपये की लागत वाले अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का प्रक्षेपण किया था। इसके बाद चंद्रयान-3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। वहीं 17 अगस्त को इसके दोनों मॉड्यूल को अलग करने से पहले, 6, 9, 14 और 16 अगस्त को उपग्रह को चंद्रमा के और नजदीक लाने की कवायद की गई थी। इसके बाद डिबूस्टिंग कर इसे चंद्रमा के और नजदीक पहुंचाया गया था। लैंडिंग से एक दिन पहले ISRO ने मंगलवार को कहा था कि मिशन तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहा है. प्रणालियों की नियमित जांच की जा रही है।
Chandrayaan-3 Mission:
'India🇮🇳,
I reached my destination
and you too!'
: Chandrayaan-3@Chandrayaan3 has successfully
soft-landed on the moon 🌖!.Congratulations, India🇮🇳!#Chandrayaan_3#Chandrayaan3Landing #Chandrayaan3 #MoonLanding #india #VikramLander pic.twitter.com/uWWsGe4Klm
— Gaganyaan (@Gaganyaan_) August 23, 2023