#ऐ कलम इतना एहसां कर, जो कह न सकी जुंबा वो बयां कर….।
*साहब हिंदी बहुत सुन्दर भाषा है लेकिन उसके समकक्ष बोली भी कम नहीं है
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दू हिंदी हमारी मातृभाषा है लेकिन यह राष्ट्रभाषा के रूप में कहीं भी पंजीकृत नहीं है। वास्तव में भारत की कोई आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है।
फिर छत्तीसगढ़ी, बिहारी,अवधिया, पंजाबी बहुत मीठी भाषा है।
आज से शुरू करते है एक नया आयाम
ऐ कलम इतना एहसां कर, जो कह न सकी जुंबा वो बयां कर….।
दुकालू सुकालू के मिठलबरा गोठ
वैसे तो डिस्क्लेमर: लगा के देश में सभी चीजे बोली बताई जा रही है हम भी करते है एक प्रयास
दुकालू सुकालू के मिठलबरा गोठ,
इसमें सिर्फ दो शब्दों पे आप असहमति जता सकते है एक तो बे दूसरा साले लेकिन वो सिम्बॉलिक है दुकालू सुकालू को लुभाने के लिए। व्यवहारिक शाब्दिक। लेकिन मंच से इसी शब्द के साथ 3 साल से दो लोग प्रदेश पुरुस्कृत है और आपके मुखिया हसंते-मुस्कुराते देखे गए। तो आपकी असहमति निर्थक है।
*अबे, जैसे इंहा काय करत हे बे दुकालू, साले जगह छेके बार आये हव बे
सुकालू : साले जगह छेके बार आये वह रे
दुकालू : त साले अतेक दूरिया नवा रायपुर के राज्य उत्स्व मैदान में, इहां जगह छेक के काय करबे बे
सुकालू : अरे साले इहे तो होही रे काय किथे तोर पीएम के सभा 7 तारीख के
दुकालू : हाथ रे बइहा, कब आही तोर 7 तारीख तेकर बार इहाँ जगा छेकबे बे, इहा नहीं वो काय किथे साइंस कालेज मैदान में हे हाबे सभा उहू 7 के हाबे, जा उहां जा के छेंक तोर जगा ला बे, बाद में बइठन नहीं मिलहि ते के करबे बे। जा हुँहे जा।
*बहुत जल्द ही होगी आपके सामने