भोपाल। गोबर की महत्ता सदियों से भारत में थी और उसे हमने पहचानी भी थी लेकिन समय के साथ-साथ आधुनिकता को अपना हमने सभी प्रकृति-प्रदत्त संसाधनों से किनारा कर लिया था और उसे पूरी तरह भुला दिया था लेकिन अब पुनः हमने प्रकृति-प्रदत्त संसाधनों को अपनाना प्रारंभ कर दिया है इसमें पहला नाम छत्तीसगढ़ प्रदेश का आता है जंहा नई सरकार बनते ही मुख्यमंत्री श्री बघेल ने उसकी महत्ता को समझा पहचाना और अपनाते हुए प्रकृति और प्रकृति-प्रदत्त चीजों से जोड़ना प्रारम्भ किया लेकिन यह प्रदेश पहले से जहां गोबर का इतने प्रकार से प्रयोग कर रहा हो वंहा के लिये यह नीव का पत्थर साबित हो सकता है।
आइये हम बताते है गोबर का प्रयोग और किस तरह से किया जा सकता है, अब तक बाज़ार में चीनी मूर्तियों का कब्ज़ा रहता था। लोग भी चीनी मूर्तियाँ ही खरीदते थे, लेकिन हालात बदले से लग रहा हैं। लोग भारत में बनी चीज़ों को ही खरीदने पर ज़ोर दे रहे हैं। इस बार गणेश जी की मूर्तियाँ भी इनमें से एक हैं। देश में ही अलग-अलग तरह से स्थानीय स्तर में मूर्तियाँ बनाई जाती रही हैं।
https://twitter.com/LinkBharatnews/status/1286553551368368128?s=20
लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर में एक महिला कलाकार ने ऐसी मूर्तियाँ बनाई हैं, जिसे खूब तारीफ़ मिल रही है। मिट्टी या किसी और चीज़ से नहीं बल्कि ये मूर्तियाँ गोबर से बनाई गई हैं, लेकिन बिलकुल पता नहीं चलता कि मूर्तियाँ गोबर से बनाई गई हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक कलाकार ने इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई हैं।
वह बताती हैं कि “हमने गोबर से गणेश जी की मूर्तियां बनाई हैं। ये मूर्तियां आसानी से विसर्जित हो जाती हैं। पानी में आसानी से घुल जाएंगी, जबकि बाकी मूर्तियों में केमिकल मिला होता है, जो पाने के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। वह कहती हैं कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ आया है मुझे लोग काफी प्रोत्साहित कर रहे हैं।’